दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से ऊपर, NCR में GRAP-III लागू

  • घर
  • दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से ऊपर, NCR में GRAP-III लागू
दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से ऊपर, NCR में GRAP-III लागू

दिल्ली की हवा अचानक जहर बन गई। शनिवार, 13 दिसंबर 2025 को, शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) कई इलाकों में 400 के ऊपर पहुँच गया — जो अब 'गंभीर' श्रेणी में आ गया। ये सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि एक आपातकालीन चेतावनी है। जब एक्यूआई 400 से ऊपर जाता है, तो सांस लेना भी खतरनाक हो जाता है। दिल्ली का औसत एक्यूआई 431 रहा, लेकिन 18 इलाकों में यह 400 से ज्यादा था। वजीरपुर में 443, जहांगीरपुरी में 439, और नोएडा में तो 455 — ये सीजन का सबसे खराब एक्यूआई है, जो 11 नवंबर के 428 को पीछे छोड़ गया।

कैसे बिगड़ा हवा का खेल?

इस तेज़ बिगड़ाव का राज़ एक हफ्ते के भीतर छिपा है। मंगलवार को दिल्ली का एक्यूआई 282 था — 'गरीब' श्रेणी। बुधवार को वो गिरकर 259 हो गया, यानी 'संतोषजनक'। लेकिन फिर अचानक उलटा रुझान। गुरुवार को 307, शुक्रवार को 349, और शनिवार को 431। ये निरंतर चढ़ाव नहीं, बल्कि एक तूफान की तरह आया। एक्यूआई के लिए सीपीसीबी का नियम है: 0-50 अच्छा, 51-100 संतोषजनक, 101-200 मामूली, 201-300 गरीब, 301-400 बहुत खराब, और 401-500 गंभीर। अब दिल्ली और एनसीआर गंभीर श्रेणी में फंस गए हैं।

गंभीर एक्यूआई वाले इलाके: कहाँ है सबसे खराब हवा?

कुछ इलाके ऐसे हैं जहाँ हवा सांस लेने के लिए बिल्कुल अनुपयुक्त है। रोहिणी और आनंद विहार में एक्यूआई 434, अशोक विहार में 431, सोनिया विहार और दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में 427। नरेला (425), बवाना (424), नेहरू नगर (421), पत्परगंज (419), आईटीओ (417), पुन्जाबी बाग (416), मुंडका (415), बुरारी क्रॉसिंग (413), चंदनी चौक (412), और डीयू नॉर्थ कैंपस (401) — सब गंभीर श्रेणी में। ये सिर्फ नंबर नहीं, ये जीवन की गिनती है।

GRAP-III लागू: क्या बंद हुआ और क्या चल रहा है?

इस तेज़ बिगड़ाव के जवाब में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान-III (GRAP-III) लागू कर दिया। इसके तहत दिल्ली और पूरे एनसीआर में कई गतिविधियाँ रोक दी गईं: बार-बार चलने वाली ट्रकों का आवागमन बंद, निर्माण स्थलों पर काम रोका गया, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया गया, और कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति 50% तक सीमित कर दी गई। स्कूलों में बाहरी गतिविधियाँ रद्द, और स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों, बुजुर्गों और सांस लेने की समस्या वालों के लिए घर में रहने की सख्त सलाह दी।

क्यों बढ़ रहा है प्रदूषण? बाहरी कारण भी हैं

इस तेज़ बिगड़ाव का कारण सिर्फ दिल्ली की गाड़ियाँ या धूल नहीं। विश्लेषकों के मुताबिक, शीतकाल के दौरान हवा शांत रहती है — जैसे किसी बर्तन के ऊपर ढक्कन लग गया हो। इससे धुआँ नीचे फंस जाता है। लेकिन ये तो सामान्य बात है। इस बार की बात ये है कि पड़ोसी राज्यों में खेतों में फसल के बाकायदा अपशिष्ट को जलाने की प्रथा इस साल बेहद तीव्र हुई। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और पंजाब में खेतों के जलने से लाखों टन धुएँ दिल्ली की ओर बह रहे हैं। ये सिर्फ एक शहर की समस्या नहीं, बल्कि एक क्षेत्रीय आपदा है।

क्या अगले दिन भी बुरा रहेगा?

क्या अगले दिन भी बुरा रहेगा?

वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का अनुमान है कि रविवार, 14 दिसंबर तक एक्यूआई 'गंभीर' ही रहेगा। तापमान अभी भी कम है, हवा शांत है, और बारिश का कोई अंदाजा नहीं। ये तीनों चीज़ें धुएँ को जमीन पर चिपकाए रखती हैं। अगर अगले दो दिनों में हवा नहीं चली, तो एक्यूआई 450 तक भी जा सकता है। ये सिर्फ एक सामान्य सर्दी नहीं, बल्कि एक जल्दी और तीव्र वायु आपदा है — जिसका असर अभी तक नहीं देखा गया।

स्वास्थ्य पर क्या असर हो रहा है?

अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों के मरीज़ों की संख्या 40% बढ़ गई है। दिल्ली के कुछ प्रमुख अस्पतालों में बच्चों में अस्थमा के मामले दोगुना हो गए। बुजुर्गों में दिल की बीमारियों के दौरे बढ़े हैं। एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा, "हम अब दिनभर चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन लोग अभी भी बाहर निकल रहे हैं। ये नियम बनाने के बाद भी, अगर आदतें नहीं बदलीं, तो ये आपदा रोकी नहीं जा सकती।" ये बात सिर्फ दिल्ली के लिए नहीं, पूरे उत्तरी भारत के लिए है।

भविष्य क्या है? क्या ये सिर्फ एक सर्दी की बात है?

ये नहीं कि ये सिर्फ एक सर्दी में आया है। ये साल-दर-साल दोहराया जा रहा है, लेकिन अब इसकी तीव्रता बढ़ रही है। अगर आज नोएडा में 455 है, तो कल ये 470 हो सकता है। और अगर हम खेतों के जलाने को रोकने के लिए राज्यों के बीच सहयोग नहीं करेंगे, तो ये सिर्फ एक समस्या नहीं, बल्कि एक निरंतर आपदा बन जाएगी। जिन लोगों को बच्चे हैं, बुजुर्ग हैं, या दम घुट रहा है — वो अब हर साल इस तरह के दिनों का इंतज़ार कर रहे हैं। और वो इंतज़ार अब बहुत लंबा हो रहा है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इस बार एक्यूआई इतना तेज़ी से क्यों बढ़ा?

इस बार एक्यूआई तेज़ी से बढ़ा क्योंकि शीतकाल के दौरान हवा शांत रही, तापमान कम रहा, और पड़ोसी राज्यों में खेतों में फसल के अपशिष्ट का जलाना असामान्य रूप से बढ़ गया। इसके अलावा, दिल्ली में वाहनों और निर्माण धूल का प्रदूषण भी जारी रहा। ये तीनों कारक मिलकर एक तूफान बन गए।

GRAP-III के तहत क्या बंद है?

GRAP-III के तहत निर्माण स्थलों पर काम रोक दिया गया है, ट्रकों का आवागमन सीमित किया गया है, कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति 50% तक सीमित कर दी गई है, और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जा रहा है। स्कूलों में बाहरी गतिविधियाँ रद्द हैं, और शहर में धूम्रपान पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

क्या नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भी यही स्थिति है?

हाँ, नोएडा में एक्यूआई 455 रहा, जो दिल्ली से भी बुरा है। ग्रेटर नोएडा में यह 442 था। ये सभी शहर एक ही वायु प्रणाली में फंसे हैं। जब दिल्ली में हवा खराब होती है, तो एनसीआर के शहर भी उसकी चपेट में आ जाते हैं।

सीपीसीबी का एक्यूआई डेटा कितना विश्वसनीय है?

सीपीसीबी के डेटा को विश्व स्तर पर मान्यता मिली है। ये डेटा 40 से अधिक स्थिर और चलते हुए मॉनिटरिंग स्टेशनों से आता है, जो हर 15 मिनट में डेटा अपडेट करते हैं। इसकी विश्वसनीयता अंतरराष्ट्रीय वायु गुणवत्ता अनुसंधान संगठनों द्वारा भी पुष्टि की गई है।

क्या बच्चों और बुजुर्गों के लिए कोई अतिरिक्त सावधानी जरूरी है?

हाँ, बच्चे, बुजुर्ग और जिन्हें अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या दिल की बीमारी है, उन्हें घर में रहना चाहिए। बाहर निकलने पर एन95 मास्क जरूर पहनें। अगर सांस लेने में तकलीफ हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। ये दिन आम बुखार नहीं, ये जानलेवा हो सकते हैं।

इस समस्या का स्थायी समाधान क्या हो सकता है?

स्थायी समाधान तीन चीजों पर निर्भर करता है: खेतों में फसल अपशिष्ट जलाने के विकल्प खोजना, दिल्ली में वाहनों को बिजली से चलाना, और निर्माण धूल पर कड़ा नियंत्रण। लेकिन सबसे जरूरी है — राज्यों के बीच सहयोग। एक राज्य की बुरी आदत पूरे क्षेत्र को बर्बाद कर सकती है।

回到顶部