प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च की छह नई वंदे भारत ट्रेनें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 15 सितंबर 2024 को भारत के रेलवे नेटवर्क में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए छह नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का वर्चुअल उद्घाटन किया। ये नई ट्रेनें भारतीय रेल के वर्तमान ढांचे में तेज गति और आधुनिक सुविधाओं का एक नया अध्याय जोड़ती हैं। भारत में चल रही वंदे भारत ट्रेनों को 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है, जो लग्जरी और दक्षता का एक उत्कृष्ट संयोजन प्रस्तुत करती हैं।
नई ट्रेनों के रूट और सुविधाएँ
लॉन्च की गई छह नई वंदे भारत ट्रेनें विभिन्न रूटों पर चलेंगी: तातानगर-पटना, ब्रह्मपुर-तातानगर, राउरकेला-हावड़ा, देवघर-वाराणसी, भागलपुर-हावड़ा, और गया-हावड़ा। ये नई सेवाएँ यात्रा के समय में कमी और यात्रियों की सुविधाओं में सुधार के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। वंदे भारत ट्रेनें उन्नत तकनीक और आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं, जिनमें तेज गति, आरामदायक सीटें, वाई-फाई, और सुरक्षित यात्रा के लिए 'कवच' सुरक्षा प्रणाली शामिल हैं।
वंदे भारत ट्रेनों की शुरुआत 15 फरवरी 2019 को हुई थी, और तब से अब तक 54 ट्रेनें विभिन्न रूटों पर चल रही हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में, इन्हें लगभग 36,000 यात्राएँ पूरी की हैं और 3.17 करोड़ से ज्यादा यात्रियों को सेवा दी है। इस दौरान ये ट्रेनें पृथ्वी के 310.7 चक्करों के बराबर दूरी तय कर चुकी हैं।
वंदे भारत 2.0: नई विशेषताएँ
वंदे भारत एक्सप्रेस का नया संस्करण, 'वंदे भारत 2.0', कई नवीनतम तकनीकी उन्नति के साथ आता है। इनमें तेज त्वरण, स्वदेशी 'कवच' सुरक्षा प्रणाली, वाई-फाई और एंटी-वायरस सिस्टम जैसे फीचर्स शामिल हैं। ये सभी फीचर्स इसे यात्रियों के लिए एक अत्याधुनिक और सुरक्षित विकल्प बनाते हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस की ये उन्नत सुविधाएं न केवल इसकी गति और सुरक्षा बढ़ाती हैं, बल्कि यात्रियों के अनुभव को और भी आरामदायक और सुखद बनाती हैं।
व्यापक रेल नेटवर्क का विस्तार
वंदे भारत एक्सप्रेस के साथ, भारतीय रेलवे का व्यापक नेटवर्क अब 280 से अधिक जिलों में फैल गया है, जिसमें 24 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं। यह न केवल रेलवे की पहुंच और प्रभाव को दर्शाता है, बल्कि 'मेक इन इंडिया' पहल की सफलता को भी प्रमाणित करता है। रेलवे के इस विस्तार से उन क्षेत्रों में भी विकास की संभावनाएँ पैदा होंगी जहां अब तक यह सेवा नहीं पहुँच पाई थी।
यात्री अनुभव में सुधार
वंदे भारत ट्रेनों की नई सेवाओं से यात्री अनुभव में भी बड़ा सुधार हुआ है। उन्नत तकनीक, अत्याधुनिक सुविधाएं और तेज गति ने यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। इन ट्रेनों का मुख्य उद्देश्य न केवल यात्रा का समय कम करना है, बल्कि यात्रियों को एक प्रथम श्रेणी का अनुभव प्रदान करना भी है।
वंदे भारत ट्रेनें भारतीय रेलवे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी हैं और इनकी लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। इन ट्रेनों ने यात्रियों के बीच एक नया विश्वास और आनंद का वातावरण पैदा किया है।
भविष्य की योजनाएं
भारत सरकार और भारतीय रेलवे के पास वंदे भारत ट्रेनों के नेटवर्क को और विस्तार देने की योजना है। आने वाले समय में और भी नए रूट्स और सेवाओं को जोड़ने की तैयारी की जा रही है। ये प्रयास भारतीय रेलवे को दुनिया के अन्य विकसित देशों के रेल नेटवर्क के समकक्ष लाने में मदद करेंगे।
निस्संदेह, वंदे भारत एक्सप्रेस भारतीय रेलवे में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रतीक है। इसका सफल संचालन और यात्रियों का सकारात्मक अनुभव यह दर्शाता है कि भारत में भी विश्व स्तरीय रेल सेवा संभव है।
12 टिप्पणि
Palak Agarwal
18 सितंबर, 2024ये ट्रेनें बहुत अच्छी लगीं। सीटें आरामदायक हैं, वाई-फाई चलता है, और समय भी बचता है। अब रेलवे का भविष्य देखकर उम्मीद हो रही है।
Prabhat Tiwari
19 सितंबर, 2024मेक इन इंडिया बस नारा है! असल में इन ट्रेनों के इंजन चीन से आते हैं, बस बॉडी भारत में बनती है। लोगों को धोखा दिया जा रहा है। और कवच सिस्टम? वो भी अमेरिकी टेक्नोलॉजी है।
Jinit Parekh
20 सितंबर, 2024किसी को नहीं पता कि ये ट्रेनें कितनी महंगी हैं? हमारे गाँवों में पानी नहीं, लेकिन वंदे भारत के लिए 1000 करोड़ खर्च? ये नहीं कि आप अपने शहरों में बिजली चालू कर रहे हैं।
INDRA SOCIAL TECH
21 सितंबर, 2024इतिहास की नजर से देखें तो रेलवे ने भारत को एकजुट किया। अब वंदे भारत एक नई पीढ़ी का संदेश देता है-स्वदेशी तकनीक, स्वदेशी विश्वास। ये केवल ट्रेन नहीं, एक भावना है।
sandeep anu
22 सितंबर, 2024ये ट्रेनें देश की गर्व की बात हैं! अब दुनिया देखेगी कि भारत क्या कर सकता है! जय हिंद! 🇮🇳
udit kumawat
24 सितंबर, 2024ये सब बकवास है। किसी को फर्क नहीं पड़ता कि ट्रेन कितनी तेज है, अगर टिकट नहीं मिल रहा। रेलवे को बेसिक्स सुधारो।
Ankit Gupta7210
25 सितंबर, 2024हाँ, वंदे भारत 2.0 बहुत बढ़िया है... जब तक आपको उसका टिकट नहीं मिलता। और जब मिल जाए तो प्लेटफॉर्म पर खड़े होकर ट्रेन का इंतज़ार करना पड़ता है। बस एक नया नाम, पुरानी बीमारी।
Paras Chauhan
26 सितंबर, 2024इन ट्रेनों का सच्चा फायदा तब होगा जब वो सिर्फ बड़े शहरों तक ही नहीं, बल्कि छोटे जिलों तक पहुँचेंगी। अभी तो ये एक्सप्रेस ट्रेनें हैं, न कि जनता की ट्रेनें। लेकिन शुरुआत अच्छी है।
Prasanna Pattankar
27 सितंबर, 2024अरे भाई, इन ट्रेनों के लिए जो पैसा खर्च हुआ, उससे 10,000 गाँवों में स्कूल बन जाते। आज तक किसी ने नहीं बताया कि ये ट्रेनें कितने लोगों को लाभ पहुँचाती हैं। ये तो बस एक शो है।
Shreya Ghimire
27 सितंबर, 2024क्या आप जानते हैं कि इन ट्रेनों के लिए जो सामग्री इस्तेमाल हो रही है, उसमें से 40% चीनी उपकरण हैं? और ये 'कवच' सिस्टम? वो भी एक अमेरिकी कंपनी के लाइसेंस पर चल रहा है। ये सब जाल है। लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। आप अपनी आँखें खोलो।
Bhupender Gour
28 सितंबर, 2024बस इतना कहना है कि अगर ये ट्रेनें भारत में बन रही हैं तो बहुत बढ़िया बात है अब देखते हैं कि इनकी रखरखाव कैसे होती है
Yash FC
29 सितंबर, 2024एक ट्रेन बनाना आसान है, लेकिन एक ऐसी ट्रेन बनाना जो लोगों के दिलों में बैठ जाए-वो अलग बात है। वंदे भारत ने ये किया। ये ट्रेनें सिर्फ धातु और तार नहीं, एक देश के सपनों की गाड़ी हैं।