उष्णकटिबंधीय तूफान – क्या है, कैसे बनते हैं और आपको क्या करना चाहिए
उष्णकटिबंधीय तुफ़ानों को हम अक्सर साइकलोन या हरिकेन कहते हैं। ये बड़े‑बड़े बादल होते हैं जिनमें तेज़ हवा और भारी बारिश होती है। भारत के समुद्र किनारे, खासकर पूर्वी और पश्चिमी तट पर इनका असर ज्यादा दिखता है। जब भी मौसम विभाग चेतावनी देता है, तो तुरंत तैयारी करनी चाहिए, वरना नुकसान बड़ा हो सकता है।
उष्णकटिबंधीय तुफ़ान कैसे बनते हैं?
तूफ़ान की शुरुआत समुद्र में गर्म पानी से होती है। जब पानी 28°C से ऊपर रहता है, तो हवा में नमी बढ़ती है और नीचे गिरने वाले गरम वायु का दबाव कम हो जाता है। इससे जलवायु के छोटे‑छोटे घुमाव बनते हैं। अगर ये घुमाव लगातार विकसित होते रहें, तो एक मजबूत चक्र बनता है जिसे हम साइकलोन कहते हैं। यह चक्र समुद्र से ऊर्जा लेता रहता है और धीरे‑धीरे भूमि की ओर बढ़ता है।
तूफ़ान से बचाव के आसान उपाय
1. **संचार माध्यमों पर नजर रखें** – मौसम विभाग की वेबसाइट, रेडियो या टीवी पर रीयल‑टाइम अपडेट सुनें।
2. **घर को सुरक्षित करें** – खिड़कियों और दरवाज़ों को मजबूत पट्टे से बांधें, अगर संभव हो तो शटर लगाएँ।
3. **जरूरी सामान तैयार रखें** – टॉर्च, बैटरी, दवा, पानी, खाने की चीज़ें और बेसिक प्रोटेक्टिव कपड़े एक जगह पर रख दें।
4. **बचाव योजना बनाएं** – परिवार के सभी सदस्य जानते हों कि आपदा में कहाँ मिलेंगे और किसको संपर्क करेंगे।
5. **फ़ॉल्ट लाइन से दूर रहें** – बिजली की लाइनों, पेड़ों या नदियों के पास रहने से बचें, क्योंकि तेज़ हवा में ये खतरनाक हो सकते हैं।
भारत में हाल ही में कई बड़े‑बड़े तूफ़ान आए हैं जैसे कि 2024 का सायकलोन ‘फ्रॉड’ और 2023 की ‘टौक्ते’। इनकी रूटिंग को देख कर हमें समझ आता है कि पूर्वी बंगाल की खाड़ी से शुरू हुए चक्र अक्सर ओडिशा, आंध्रा प्रदेश और तमिलनाडु तक पहुँचते हैं। इस वजह से उन राज्यों में हर साल जुलाई‑अक्टूबर के बीच सतर्क रहने की ज़रूरत होती है।
जब तूफ़ान लैंडफॉल करता है तो सबसे बड़ा नुकसान बाढ़ और जलभराव होता है। इसलिए बारिश के बाद तुरंत पानी के स्तर को देखना जरूरी है। अगर आप किसी निचले इलाक़े में रहते हैं, तो घर की ऊँचाई बढ़ाने या रेत का बैरियर बनाने पर विचार कर सकते हैं।
अगर आप यात्रा पर हों और रास्ता बंद हो जाए, तो स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करके वैकल्पिक मार्ग पूछें। अक्सर पुलिस या जिला प्रशासन अस्थायी पुल बनाते हैं जो मददगार होते हैं।
अंत में याद रखिए – तूफ़ान का डर नहीं, तैयारी की कमी है जो नुकसान बढ़ाती है। सही जानकारी और जल्दी कार्रवाई से आप और आपका परिवार सुरक्षित रह सकते हैं। इसलिए हर चेतावनी को हल्का न लें, तुरंत कदम उठाएँ और अपने आस‑पास के लोगों को भी सूचित करें।