केन्या के राष्ट्रपति विलियम रुटो ने हाल ही में एक वित्तीय विधेयक को वापस लेने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जो कर वृद्धि के चलते अत्यंत विवादास्पद बन गया था। इस विधेयक में कई आवश्यक वस्तुओं पर कर बढ़ाने का प्रस्ताव था, जैसे कि ब्रेड, खाना पकाने का तेल, मोबाइल मनी सेवाएं, विशेष अस्पताल और मोटर वाहन। इस प्रस्ताव ने केन्या के नागरिकों में भारी आक्रोश उत्पन्न किया, और इसका विरोध हिंसक प्रदर्शनों में परिवर्तित हो गया।
इन प्रदर्शनों ने न केवल केन्या में अशांति फैलाई, बल्कि व्यापक हिंसा का रूप भी धारण किया। राजधानी नैरोबी में प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन को आंशिक रूप से नष्ट कर दिया और विधायिका की प्राधिकृतता का प्रतीकात्मक मेश भी छीन लिया। प्रदर्शनों के कारण कम से कम 22 लोगों की जान चली गई, जिसके बाद स्थिति और गंभीर हो गई।
राष्ट्रपति रुटो ने शुरू में इस हिंसा को रोकने के लिए सैन्य बल को तैनात किया, लेकिन पुलिस द्वारा जीवित बुलेट के प्रयोग से जनता में और अधिक आक्रोश फैल गया। इस कार्यवाही की व्यापक आलोचना हुई और राष्ट्रपति को अंततः अपनी स्थिति बदलनी पड़ी। विभिन्न संगठनों जैसे कि कैथोलिक बिशप और लॉ सोसाइटी ऑफ केन्या ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अपील की और सुरक्षा बलों की क्रियाओं की निंदा की।
इस स्थिति पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जान-माल की हानि पर गहरा शोक व्यक्त किया और केन्या की अधिकारियों से संयम बरतने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति रुटो ने विधेयक की वापसी के साथ-साथ देश के युवाओं के साथ संवाद स्थापित करने की भी घोषणा की, जिन्होंने इन प्रदर्शनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जनता की आवाज सुनना आवश्यक है और सरकार उनकी भावनाओं का सम्मान करती है।
इसके निर्णय से स्पष्ट है कि राष्ट्रपति रुटो जनता की भावनाओं का सम्मान करते हैं और संघर्षों के समाधान के लिए संवाद को प्राथमिकता देते हैं। यह कदम एक महत्वपूर्ण संकेत है कि केन्या में लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए क्या किया जा सकता है।
अब देखने वाली बात होगी कि रुटो सरकार किस प्रकार से आने वाले दिनों में नए कदम उठाती है और देश की समस्याओं का समाधान निकालती है। जनता को उम्मीद है कि उनके मुद्दों को सुना जाएगा और आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
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