भारत के प्रमुख शहरों में से एक, बेंगलुरु, इन दिनों भारी बारिश के कारण संकट के दौर से गुजर रहा है। बारिश के चलते पूरे शहर में अनेक जगहों पर जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। विशेष रूप से, शहर का प्रतिष्ठित मन्याता टेक पार्क, जो कि भारत के सबसे बड़े कार्यालय केंद्रों में से एक है, पूरी तरह से पानी में डूब गया है। इस टेक पार्क में काम करने वाले कई कर्मचारी पानी में फंसे रहे, क्योंकि न केवल पार्क के आंतरिक मार्ग बल्कि आसपास के क्षेत्र भी जलमग्न हो गए।
सोशल मीडिया पर मन्याता टेक पार्क के वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो में देखने को मिला कि कैसे पानी की वजह से वाहन सड़कों पर चलने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। कारें पानी में गलियों को पार करने की कोशिश कर रही हैं, और पानी की धारा दीवारों से झरने की तरह बह रही है। यह स्थिति वास्तव में शहर के बुनियादी ढांचे की कठोर आलोचना को जन्म दे रही है।
लोग सोशल मीडिया पर इस दृश्य की तुलना दुबई के वाटरफ्रंट या सैन फ्रांसिस्को बे एरिया से कर रहे हैं, जो कि एक व्यंग्य के रूप में लिया जा रहा है। लोगों का कहना है कि अब शायद वे नाव का सहारा लेकर ही अपनी मीटिंग्स तक पहुंच पाएंगे। यह परिस्थिति प्रशासन और बिल्डरों के ऊपर अभियोगात्मक दृष्टिकोण को जन्म दे रही है, क्योंकि लोग उन पर अपर्याप्त तूफानजल चैनलों और योजना की कमी का आरोप लगा रहे हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने भविष्यवाणी की है कि आगामी दिनों में और अधिक बारिश हो सकती है। विशेष रूप से 14 से 17 अक्टूबर के बीच मध्यम से भारी वर्षा की संभावना जताई गई है। स्थानीय प्रशासन इस स्थिति से निपटने के लिए कार्यरत है, लेकिन इस समय बेंगलुरु की सड़कें जल मग्न हैं और लोग अधिक बारिश के भय में जी रहे हैं।
हालांकि, प्रशासन ने इस चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करने के लिए कई प्रबंध किए हैं। नाले साफ करने से लेकर पानी निकालने की सुविधा के लिए पंप लगाए गए हैं। इसके साथ ही, प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें। कर्मचारियों से भी कहा गया है कि वे स्थिति सामान्य होने तक घर से काम करें और अपनी सुरक्षा के लिए सतर्क रहें।
हालांकि इन प्रत्याओं की भूमिका महत्वपूर्ण है, समाधान के लिए लंबे समय तक योजना बनानी होगी जिससे कि ऐसी अप्रत्याशित परिस्थितियों का सामना सरल हो सके। शहर के इन्फ्रास्ट्रक्चर की पूरी तरह से पुनः विवेचना और नवीनयोजना की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से बचा जा सके।
प्राकृतिक आपदाओं का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव गंभीर होता है। बेंगलुरु के इस जलभराव ने भी शहर की गतिविधियों को बाधित किया है। कई कंपनियों ने कर्मचारियों को घर से काम करने का निर्देश दिया है, जिससे व्यापारिक प्रक्रियाएं प्रभावित होंगी। इसके साथ ही, इस प्रकार की स्थिति का मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी होता है, क्योंकि लोग इसी प्रकार के मौसम के दोबारा लौट आने की आशंका में रहते हैं।
आधिकारिक प्रबंधन संस्थानों के साथ-साथ, समुदाय को भी सहयोग करना होगा। जनजागरूकता अभियान और नागरिकों की सहभागिता से ही इस माहौल का सामना किया जा सकता है। क्योंकि इस तरह की घटनाएं एक सबक हैं जो यह दर्शाती हैं कि कैसे हम अपने शहरी विकास और पर्यावरणीय प्रबंधन को बेहतर बना सकते हैं।
15 टिप्पणि
udit kumawat
17 अक्तूबर, 2024ये सब तो हमारे नेताओं की बेकारी का नतीजा है।
Jinit Parekh
17 अक्तूबर, 2024हमारे शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर कभी बनाया ही नहीं गया। अमेरिका और चीन में ऐसा कुछ नहीं होता। यहां तो बारिश होते ही नाले बंद हो जाते हैं। ये लोग सिर्फ पैसे खाते हैं, काम नहीं करते।
Ankit Gupta7210
18 अक्तूबर, 2024अरे यार ये तो बस बारिश है ना नहीं तो अमेरिका में भी बारिश होती है लेकिन वहां लोग नाव से जाते हैं यहां तो घर से निकलने से डर लगता है। ये शहर तो बस बारिश के लिए बनाया गया है।
Yash FC
20 अक्तूबर, 2024हम सब इस शहर के विकास के लिए जिम्मेदार हैं। बस दोष देने से कुछ नहीं होगा। हमें अपने घरों से शुरुआत करनी होगी। गंदगी न फेंकना, नालों को अवरुद्ध न करना, ये छोटी बातें हैं लेकिन बड़े बदलाव लाती हैं।
sandeep anu
21 अक्तूबर, 2024ये दृश्य तो बस फिल्म की तरह लग रहा है! बेंगलुरु अब वेनीस हो गया है! जल्दी से नाव बुक कर लो, मीटिंग नहीं तो डूब जाओगे! 😅
Shreya Ghimire
21 अक्तूबर, 2024ये सब एक योजना है। जानबूझकर नाले बंद किए जा रहे हैं ताकि लोग घबराएं और नए बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए पैसे निकाले जा सकें। ये बारिश नहीं, ये एक नियंत्रण युक्ति है। सरकार और बिल्डर्स के बीच साजिश है। आप लोग सोचते हैं ये बारिश है? नहीं ये नियोजित अफसोस है।
Prasanna Pattankar
22 अक्तूबर, 2024अरे भाई, बारिश हो रही है, तो फिर क्या? ये तो बस एक दिन का विलास है। अगर आपको नाले नहीं दिख रहे, तो शायद आपको अपनी आंखें भी नहीं दिख रहीं। बेंगलुरु का इंफ्रास्ट्रक्चर? वो तो एक अकादमिक अध्ययन का विषय है।
Bhupender Gour
23 अक्तूबर, 2024ये बारिश तो बस एक बात बताती है कि हम बिल्डर्स के भरोसे नहीं रह सकते। जल्दी से घर पर बैठ जाओ और अपनी ज़िंदगी बचाओ। नाले नहीं बनाएंगे तो फिर क्या बनाएंगे? अपने घर के बाहर नहीं निकलो।
sri yadav
23 अक्तूबर, 2024मैं तो बस यही कहूंगी कि बेंगलुरु का ये जलभराव तो बहुत एस्थेटिक लग रहा है। जैसे कोई फैशन शो हो। नाव से ऑफिस जाना अब ट्रेंडी हो गया है। बस अगली बार एक लक्जरी बोट ले लेना।
Pushpendra Tripathi
25 अक्तूबर, 2024ये बारिश तो सिर्फ शुरुआत है। अगले साल तो शहर पूरा डूब जाएगा। लोग तो अभी तक बारिश को नैचुरल मान रहे हैं। ये तो मानव निर्मित आपदा है। जो लोग बारिश के बारे में बात कर रहे हैं, वो सब बेकार हैं।
Indra Mi'Raj
26 अक्तूबर, 2024मैं बस इतना कहूंगी कि जिन लोगों के घर पानी नहीं आया उन्हें बस थोड़ा सा ध्यान देना चाहिए। ये सब तो बस एक याद बन जाएगा। लेकिन अगर हम सब एक साथ थोड़ा बदलाव लाएं तो कुछ हो सकता है।
Harsh Malpani
28 अक्तूबर, 2024ये तो बस बारिश है भाई, इतना डर क्यों? घर पर बैठो और चाय पीओ। जल्दी ही ये सब ठीक हो जाएगा। बस थोड़ा धैर्य रखो।
INDRA SOCIAL TECH
29 अक्तूबर, 2024इंफ्रास्ट्रक्चर की बात तो लंबी है। लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि हमारे जीवन शैली में भी बदलाव चाहिए? जल का उपयोग कम करना, प्लास्टिक न फेंकना, ये छोटी बातें भी बड़े बदलाव ला सकती हैं।
Prabhat Tiwari
30 अक्तूबर, 2024ये बारिश तो एक जाल है। अमेरिका और चीन ने हमें इस तरह के शहर बनाने के लिए दबाव डाला है। ये सब एक ग्लोबल इकोनॉमिक कॉन्स्पिरेसी है। जिन लोगों ने बारिश को वायरल किया, वो अपने दुश्मनों के लिए बनाए गए हैं।
Palak Agarwal
31 अक्तूबर, 2024मैंने देखा कि कुछ लोग अपने घर के आसपास नाले साफ कर रहे हैं। ये छोटे कदम बहुत बड़े हैं। अगर हर कोई थोड़ा सा योगदान दे तो ये शहर फिर से जीवित हो जाएगा।