आयकर कानून के इतिहास में ऐसा बहुत कम हुआ है, जब संसद में पेश हुआ बिल अचानक वापस ले लिया गया हो और कुछ ही दिनों में उसका पूरी तरह बदला गया वर्जन जनता के सामने आ जाए। 8 अगस्त 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में इस बात का ऐलान किया कि आयकर बिल 2025 वापस ले लिया गया है। इसकी वजह थी, बजट सत्र के दौरान गठित सेलेक्ट कमिटी द्वारा सुझाए गए बदलाव, जिन्हें शामिल करना जरूरी समझा गया।
दरअसल, ये बिल पहली बार 13 फरवरी 2025 को पेश हुआ था, जिसमें 1961 से चला आ रहा पुराना आयकर कानून पूरी तरह बदलने का प्रावधान था। ज्यों ही सेलेक्ट कमिटी ने 21 जुलाई 2025 को अपनी रिपोर्ट सौंपी, सरकार को लगा कि इतने सारे सुधार जरूरी हैं कि बिल में संशोधन करने की बजाय उसे वापस लेकर नया बिल पेश करना ज्यादा सही रहेगा।
वित्त मंत्रालय ने सेलेक्ट कमिटी की लगभग सभी सिफारिशों को मंजूरी दी। केवल इतना ही नहीं, इस बार उन आम नागरिकों के सुझाव भी जोड़े गए जिन्होंने कानून को और आसान बनाने की मांग रखी थी। नए बिल में मुख्य फोकस इन बातों पर रहा—
बिल की सबसे खास बात ये है कि अब इसमें टीडीएस के प्रोविजन को सीधा कर दिया गया है, टैक्स छूट की प्रक्रिया आसान बनाई गई है और रिटर्न भरने में देरी पर पेनल्टी के बिना रिफंड क्लेम की सुविधा मिल गई है।
अगर आप पेंशन फंड या चुने हुए फंड से पेंशन लेते हैं, तो उसमें कटौती के लिए नियम एकदम साफ लिख दिए गए हैं। लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप्स (LLPs) पर अब अल्टरनेट मिनिमम टैक्स हटा दिया गया है। साथ ही, चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए नियमों में राहत दी गई है – जो पहले बेहद उलझाव भरे थे।
एक बड़ी बात यह रही कि नया बिल अब सिरफ शब्दों के खेल में नहीं है। इसके सेक्शन और चैप्टर पुराने कानून से आधे रह गए हैं। भाषा सीधी और समझने योग्य है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब टेक्सपेयर्स को वकीलों के चक्कर कम लगाने पड़ेंगे।
11 अगस्त 2025 को जब ये नया संशोधित बिल (Income Tax Bill No.2, 2025) लोकसभा में सिर्फ तीन मिनट में पास हुआ, तो विपक्षी शोर और विवाद के बावजूद किसी ने इसकी भाषा या क्लैरिटी पर सवाल नहीं उठाए। अब यह बिल राज्यसभा जाएगा, और वहाँ से पारित होने पर कानून का रूप ले लेगा।
टैक्स पेशेवरों के मुताबिक, किसी भी नियम का असर तभी दिखता है जब आम आदमी आसानी से उसे समझ सके। BDO इंडिया की प्रीति शर्मा भी मानती हैं कि साधारण भाषा वाला ये कानून शायद आम नागरिक के सबसे ज्यादा काम आए। यहाँ तक कि नया टैक्स रेजीम, जो बजट 2025 के साथ घोषित हुआ था, उसमें भी कोई बदलाव नहीं हुआ है — यानी निरंतरता बरकरार है।
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