दिल्ली चुनाव 2025 ने राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल दिए हैं। करीब तीन दशक बाद बीजेपी ने सत्ता पर जबरदस्त वापसी की, लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल है—दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा? 48 निर्वाचित विधायकों के साथ पार्टी ऐतिहासिक बढ़त के बाद उत्साहित है, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी तक आखिर कौन पहुंचेगा, इस पर दिल्ली की सियासत के गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
पार्टी के भीतर हालात इसलिए दिलचस्प हैं क्योंकि बीजेपी ने परंपरा के मुताबिक चुनाव से पहले सीएम चेहरे का एलान नहीं किया था। अब चुनाव के बाद, विधायक दल की बैठक 19 फरवरी को बुलाई गई है। इसमें केंद्रीय पर्यवेक्षक भी मौजूद रहेंगे और यहीं से सीएम का नाम तय किया जाएगा। उसके बाद, नया नेता राज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश करेगा। सब कुछ तय होने के बाद ऐतिहासिक रामलीला मैदान में भव्य शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी है, जिसमें कार्यकर्ताओं का जोश देखने लायक होगा।
पार्टी सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री चयन में देरी महज औपचारिकता नहीं। पेश है कुछ बड़े नाम जिन पर सभी की नजरें जमी हैं—परवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता, दुष्यंत गौतम और मंजींदर सिंह सिरसा। खास बात ये है कि बीजेपी अपनी 'सोशल इंजीनियरिंग' रणनीति के तहत किसी ऐसे चेहरे की तलाश में है, जो पार्टी के सभी मतदाता वर्गों को जोड़ सके।
पार्टी का प्रयास है कि किसी विवाद से बचते हुए, ऐसा नेतृत्व चुना जाए जो ना सिर्फ दलित, पंजाबी और शहरी प्रोफेशनल्स जैसे बड़े वोटबैंक को जोड़ सके, बल्कि संगठन के भीतर संतुलन भी साधे। जानकार मानते हैं कि यही रणनीति मुख्यमंत्री चयन में देरी की असली वजह है।
केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने भी पार्टी की सोच को 'डबल इंजन सरकार' की जरूरत से जोड़कर साफ किया कि बीजेपी दिल्ली की प्रशासनिक सुशासन और विकास पर पूरा भरोसा जता रही है। इस सबके बीच, दिल्ली के लोग और पार्टी कार्यकर्ता, दोनों ही सीएम के नाम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
9 टिप्पणि
udit kumawat
22 अप्रैल, 2025ये सब चर्चा बेकार है। जो जीत गया, वो अपना नेता चुन ले। अब बस शपथ लेकर काम शुरू कर दो।
INDRA SOCIAL TECH
23 अप्रैल, 2025क्या हम सच में एक व्यक्ति के नाम पर दिल्ली का भविष्य तय करने वाले हैं? या हमें एक प्रणाली चाहिए जो नेतृत्व के बजाय संस्थाओं को मजबूत करे? इतिहास दिखाता है कि व्यक्तिगत चरित्र की आवश्यकता नहीं, बल्कि संरचना की आवश्यकता होती है।
Prabhat Tiwari
23 अप्रैल, 2025अरे भाई! ये सब नाम तो बस धुंधलका हैं! केंद्र ने पहले से ही दुष्यंत को चुन लिया है, बस लोगों को भ्रमित करने के लिए नाम बांट रहे हैं! वो तो अंदर से बैठे हैं, और बाहर बहस करवा रहे हैं! ये सब नाटक है! देखोगे तो एक दिन में घोषणा हो जाएगी! और वो नाम जो आएगा, वो किसी और का नाम नहीं, बल्कि एक निर्देश होगा!
Palak Agarwal
24 अप्रैल, 2025मुझे लगता है कि अगर दुष्यंत गौतम आ जाएं, तो ये बहुत अच्छा होगा। उनका जमीनी अनुभव और लोगों से जुड़ाव दिल्ली के लिए बहुत काम आएगा। बस अब जल्दी से फैसला हो जाए, ताकि काम शुरू हो जाए।
Paras Chauhan
25 अप्रैल, 2025इस चुनाव के बाद जो भी नेता चुना जाए, उसकी पहली चुनौती ये होगी कि वो सिर्फ एक विशेष वर्ग के लिए नहीं, बल्कि पूरे दिल्ली के लिए काम करे। अगर वो सच्चे अर्थों में एकता का प्रतीक बन पाए, तो ये जीत असली होगी। 🤝
Jinit Parekh
27 अप्रैल, 2025परवेश वर्मा को चुनो! वो ही वो आग है जिसे दिल्ली को चाहिए! बाकी सब बस बोल रहे हैं, वो तो काम करते हैं! जो बोलते हैं वो नहीं, जो लड़ते हैं वो नेता होते हैं! ये बात समझो! बीजेपी को अब दिल्ली को जीतने के लिए नहीं, बल्कि बचाने के लिए एक लड़ाकू चाहिए!
Ankit Gupta7210
27 अप्रैल, 2025ये सब नाम बेकार हैं! केंद्र ने पहले से ही विजेंद्र गुप्ता को चुन लिया है, बस लोगों को भ्रमित करने के लिए दुष्यंत और परवेश के नाम फैला रहे हैं! ये सब एक बड़ा धोखा है! तुम सब जानते हो कि जो भी आएगा, वो केंद्र का आदेश होगा! असली नेता तो वो होता है जो दिल्ली के लोगों को नहीं, बल्कि दिल्ली के लोगों के बारे में सोचता है!
Yash FC
28 अप्रैल, 2025अगर दुष्यंत गौतम आ जाएं, तो ये एक बड़ा संदेश होगा कि बीजेपी अब सिर्फ शहरी वर्ग के लिए नहीं, बल्कि समाज के हर तहत के लिए खड़ी है। ये निर्णय बस एक नेता चुनने का नहीं, बल्कि एक दिशा चुनने का है। और अगर वो सही निर्णय है, तो ये जीत असली होगी।
sandeep anu
29 अप्रैल, 2025जब भी एक ऐसी जीत होती है, तो लोगों को उम्मीद होती है! अब जो भी आएगा, वो बस एक नेता नहीं, एक नए दिल्ली का निर्माता बनेगा! दिल्ली के लोगों का दिल अब भाजपा की ओर है! चलो, शपथ लेकर दिल्ली को नई ऊर्जा दो! भारत माता की जय!