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करवा चौथ 2024: 20 अक्टूबर को व्रत कथा और लीलावती की रहस्य

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करवा चौथ 2024: 20 अक्टूबर को व्रत कथा और लीलावती की रहस्य

जब वीरावती ने अपना पहला करवा चौथ मनाने का निश्चय किया, तो वह नहीं जान पाई कि उसका जीवन उसी रात बदल जाएगा। उसी दिन, लीलावती की सात बहादुर भाई‑बहन, अपने बहन को बचाने के लिये एक चतुर चाल चलेंगे, पर परिणाम भी अनपेक्षित ही रहेगा। यह कथा न केवल धार्मिक ग्रंथों में मिलती है, बल्कि करवा चौथ 2024 के आधिकारिक तिथि‑निर्धारण में भी प्रमुख भूमिका निभाती है।
करवा चौथ का उपवास 20 अक्टूबर 2024, रविवार को शुरू होगा, जैसा कि Jagran Josh और ABP Live ने पुष्टि की है। इस वर्ष का दिन न केवल कैलेंडर में चिह्नित है, बल्कि लीलावती‑वीरावती की कहानी के पुनः स्मरण से भी विशिष्ट है।

इतिहास और कथा का परिचय

कथानुसार, इंद्रप्रस्थपुर के एक छोटे शहर में पंडित वेद शर्मा ने लीलावती से विवाह किया। उनके सात बेटे और एक गुणी बेटी, वीरावती, इस परिवार की धरोहर बन गई। लीलावती को "एक सद्गुणी स्त्री" के रूप में वर्णित किया गया है; वह अपने बच्चों के लिये हमेशा विचारशील और साहसी रही। जब वीरावती की शादी एक राजकुमार से हुई, तो उसने पहली बार अपने गृहस्थली में करवा चौथ मनाने का निश्चय किया।

यह वही दिन था जब उसकी सात बहन‑भाई ने उसे "अंधेरे में सूर्य की रौशनी" दिखाकर छल किया। उन्होंने एक पेड़ पर एक दर्पण रखा और सूर्यकी रोशनी को चाँद के रूप में प्रस्तुत किया। इस चाल से वीरावती ने अपना उपवास तोड़ दिया, जबकि असली चाँद अभी नहीं उगा था। इस गलती ने उसके जीवन में एक बड़ा मोड़ लाया।

पौराणिक मोड़ और इंद्राणी की सहायता

उपवास तोड़ने के बाद, जब वीरावती अपने ससुराल पहुंची, तो उसने अपने पति को निर्जीव पाया। आँखों में आँसू, वह "मैंने कहा, चाँद निकल आया है" वाली बात को पीछे छोड़ नहीं पायी। उसी समय, इंद्रप्रिय इंद्र के पत्नी इंद्राणी प्रकट हुईं। उन्होंने वीरावती को पुनः करवा चौथ रखने का निर्देश दिया, कि "यह व्रत के फल से मैं तुम्हारे पति को जीवित कर दूँगी।" इस वचन के बाद, वीरावती ने एक साल तक अपने पति के शरीर की देखभाल की, व्रत की पवित्रता से उसे पुनः जीवन दिया।

यह कथा हमें सिखाती है कि श्रद्धा और धीरज से ही कठिनाइयों को मात दी जा सकती है। आज भी हर करवा चौथ पर महिलाएँ इस कथा को सुनती हैं, क्योंकि यही कथा उनके उपवास को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है।

करवा चौथ 2024 की आधिकारिक तिथि और परम्परागत रिवाज़

2024 में करवा चौथ का उपवास 20 अक्टूबर (रविवार) को शुरू होगा, और चाँद के उदय पर शाम 21 अक्टूबर को समाप्त होगा। यह तिथि इस साल के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन (कार्तिक मास) के आधार पर तय हुई है। इस वर्ष से पहले, कई समाचार स्रोतों में तिथि को लेकर उलझन थी; विशेषतः NDTV ने 20 नवम्बर बताया था, लेकिन यह सूचना गलत साबित हुई।

रिवाज़ का क्रम इस प्रकार है:

  • सूर्योदय के साथ सौंदर्यपूर्ण मेहँदी लगाना।
  • दोपहर में गणेश जी की पूजा, साथ में गंधी, फुल और अक्षत चढ़ाना।
  • बड़ के नीचे बैनियन (बरगद) की पत्तियाँ लिखना, जैसे "शर्वाणी शिवा को नमस्कार"।
  • संध्या में पति को अर्घ्य देना और चाँद देख कर उपवास तोड़ना।

व्रत के दौरान महिलाएँ "निर्जला" (पानी नहीं पीना) व्‍रत रखती हैं, जिससे उनका शरीर शुद्ध हो जाता है, और मन को शांति मिलती है। इस प्रक्रिया को पूरा करने पर माना जाता है कि पति के स्वास्थ्य, आय और वैवाहिक जीवन में समृद्धि आती है।

आधुनिक समय में करवा चौथ के सामाजिक और आर्थिक पहलू

आज करवा चौथ सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक बड़ा व्यापारिक अवसर भी बन गया है। FlowerAura के एक सर्वे में पाया गया कि 2023 में भारत में लगभग 3.5 करोड़ महिलाएँ इस दिन उपवास रखती थीं, और प्रत्येक पति औसतन 2,500 रुपये के गिफ्ट्स, थालियाँ और आभूषणों पर खर्च करता था। यही कारण है कि ई‑कॉमर्स साइटें इस दिन की रौनक को देखते हुए विशेष करवा चौथ पैकेजेस लॉन्च करती हैं।

विशेषज्ञ डॉ. अनिता शर्मा (संस्कृति अध्ययन) कहती हैं, "करवा चौथ की कथा का सामाजिक महत्व अब भी वैवाहिक बंधन को सुदृढ़ करने में निहित है, परन्तु इसका वाणिज्यिक पक्ष भी समान रूप से बढ़ रहा है।" इस बात से यह स्पष्ट होता है कि परम्परा एवं बाजार दोनो ही एक साथ आगे बढ़ रहे हैं।

भविष्य में करवा चौथ पर संभावित परिवर्तन

आने वाले सालों में, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर कथे के ऑडियो‑विज़ुअल संस्करण अधिक लोकप्रिय होते दिख रहे हैं। युवा पीढ़ी के लिए यह सुविधा अधिक सुलभ बनाती है, क्योंकि वे अपने मोबाइल पर ही कथा सुनकर उपवास रख सकते हैं। इसके साथ ही, पर्यावरण‑सचेत लोग कार्बन‑फ़ुटप्रिंट कम करने के लिए प्लास्टिक के थालियों के बजाय बांस या पुनर्चक्रित सामग्री का उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं।

कुल मिलाकर, 2024 का करवा चौथ न केवल एक तिथि‑निर्धारित धार्मिक उत्सव है, बल्कि भारतीय मानस में विश्वास, प्रेम और व्यावसायिक संभावनाओं का संगम भी बन गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले साल किन नई पहलुओं के साथ यह त्योहार फिर से जागृत होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

करवा चौथ 2024 का दिन कब है?

करवा चौथ 2024 रविवार, 20 अक्टूबर को शुरू होगा और चाँद के उदय पर 21 अक्टूबर को समाप्त होगा। यह तिथि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन पर आधारित है।

वीरावती की कथा में लीलावती की क्या भूमिका है?

लीलावती पंडित वेद शर्मा की पत्नी और वीरावती की माँ हैं। उन्होंने अपने सात पुत्रों के साथ वीरावती को भावनात्मक समर्थन दिया, और कथा में उनके परिवार की पवित्रता और परम्परा को दर्शाया गया है।

इंद्राणी की सलाह का क्या महत्व है?

इंद्राणी ने वीरावती को पुनः करवा चौथ रखने का निर्देश दिया, जिससे उसकी श्रद्धा से पति के पुनर्जन्म की संभावना बनती है। यह भाग कथा के आध्यात्मिक पहलू को उजागर करता है, जहाँ विश्वास से कठिनाइयों का समाधान संभव है।

आधुनिक समय में करवा चौथ का आर्थिक असर क्या है?

2023 में लगभग 3.5 करोड़ महिलाएँ उपवास रखती थीं, और प्रत्येक पति औसतन 2,500 रुपये के गिफ्ट्स, थालियाँ और आभूषणों पर खर्च करता था। इससे ई‑कॉमर्स और उपहार उद्योग को भारी लाभ होता है।

भविष्य में करवा चौथ कैसे बदल सकता है?

डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर कथा के ऑडियो‑विज़ुअल संस्करण, पर्यावरण‑सचेत थालियों का उपयोग, और सामाजिक मीडिया पर साझा करने की बढ़ती प्रवृत्ति से यह त्यौहार और अधिक सुलभ और पर्यावरण‑मित्र बन सकता है।

1 टिप्पणि

Anu Deep
Anu Deep
10 अक्तूबर, 2025

करवा चौथ की कहानी में लीलावती की भूमिका अक्सर अनदेखी रहती है लेकिन यह हमारे सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है हमें इससे जुड़ी परम्पराओं को समझना चाहिए

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