पंजाबी गायक सिद्धू मूसे वाला की दूसरी पुण्यतिथि पर उनके माता-पिता बालकौर सिंह और चरन कौर ने अपने पुत्र की यादों को ताजा किया। सिद्धू की याद में दोनों ने अपने-अपने इंस्टाग्राम अकाउंट्स पर भावुक पोस्ट साझा कीं। सिद्धू जब 28 वर्ष के थे, तब उनकी हत्या मंसा जिले के जवाहरके गांव में अज्ञात हमलावरों ने कर दी थी। उनकी इस अप्रत्याशित मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया था।
सिद्धू की माँ, चरन कौर ने अपने बेटे की एक तस्वीर के साथ एक लंबा नोट लिखा जिसमें उन्होंने अपनी भावना व्यक्त की। उन्होंने लिखा कि सिद्धू उन्हें हमेशा याद रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही वह उन्हें शारीरिक रूप से नहीं देख सकतीं, लेकिन महसूस कर सकती हैं। चरन कौर ने यह भी वादा किया कि वह अपने बेटे की यादों को हमेशा संजोएंगी और उनका नाम कभी नहीं भुलाएंगी।
सिद्धू के पिता बालकौर सिंह ने अपने बेटे की एक तस्वीर शेयर की जिसमें उन्होंने एक स्टेटस के साथ #JusticeforSidhuMooseWala का उपयोग किया। बालकौर सिंह ने अपने बेटे की न्याय की मांगा की और उनके लिए न्याय की लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया।
सिद्धू मूसे वाला ने अपने गायन करियर के साथ ही राजनीति में भी कदम रखा था। 2022 में उन्होंने कांग्रेस टिकट पर मंसा से विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, वह चुनाव हार गए थे। राजनीति में उनकी यह कदम उनके चाहने वालों के लिए एक नई दिशा दिखाने वाला साबित हुआ था, लेकिन उनकी असमय मृत्यु ने इस सफर को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया।
सिद्धू मूसे वाला की मृत्यु के लगभग दो वर्षों बाद उनके माता-पिता ने एक दूसरे बच्चे का स्वागत किया है। यह खबर उनके परिवार के लिए एक नयी शुरुआत और उम्मीद की किरण के रूप में आई है। बालकौर सिंह और चरन कौर ने इस दूसरी संतान में सिद्धू की यादों को पुनर्जीवित होते हुए महसूस किया।
29 मई, 2022 को पंजाब के मंसा जिले के जवाहरके गांव में सिद्धू मूसे वाला की हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या ने पंजाब और पूरे देश में तहलका मचा दिया था। गायक के प्रशंसकों ने पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किए और सिद्धू को न्याय दिलाने की मांग की। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की और अब तक कई अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। कत्ल का कारण अब तक साफ नहीं हो पाया है, लेकिन कई अटकलें और साजिशें इस मामले में घूम रही हैं।
गायक के रूप में सिद्धू मूसे वाला ने बहुत ही कम समय में एक बड़ा नाम कमाया था। उन्होंने कई हिट गाने दिए जो युवाओं में बेहद लोकप्रिय थे। उनके गाने युवाओं के दिलों की धड़कन बन गए थे और उनकी अनूठी शैली ने उन्हें विशिष्ट स्थान दिलाया। उनके द्वारा गाये गए गाने सिर्फ गाने नहीं थे, बल्कि समाज की सच्चाइयों का आइना थे, जिसमें वे बहादुरी, वो लोगों की समस्याएं और आपदाओं को बखूबी दर्शाते थे।
सिद्धू ने संगीत के माध्यम से समाज सुधार का काम भी किया। उनके गानों में अक्सर ऐसी बातें और समस्याएं सामने आती थीं, जिन्हें समाज अनदेखा कर देता है। उन्होंने बिना किसी डर के अपने गानों के माध्यम से सच एवं सामाजिक मुद्दों को उजागर किया। यह उनकी बहादुरी और जज्बे का मर्म था कि उन्होंने कभी भी अपने कदम पीछे नहीं हटाए।
सिद्धू मूसे वाला की मौत के बावजूद उनकी यादें आज भी उनके चाहने वालों के दिलों में जिंदा हैं। उनके गाने आज भी सुनाई देते हैं और उनकी बातें आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। उनकी अद्वितीय शैली और हिम्मत का नजारा आज भी कई नए गायकों को प्रेरित करता है।
सिद्धू के माता-पिता और उनके चाहने वाले अभी भी न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं। उनकी हत्या की जांच जारी है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस मामले का सच सामने आएगा।
यह सिद्धू मूसे वाला की दूसरी पुण्यतिथि की कहानी है, जिसमें उनके माता-पिता और प्रशंसक उनकी यादों को संजोने के प्रयासों में लगे हुए हैं। उनकी मौत ने हमें यह सिखाया है कि एक अद्वितीय कलाकार के रूप में उन्होंने हमारे दिलों में हमेशा के लिए अपनी जगह बना ली है।
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