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बेंगलुरु में घूमने लायक मुख्य मंदिर

अगर आप बेंगलुरु में हैं या आने की योजना बना रहे हैं, तो शहर के धार्मिक स्थल देखना ज़रूरी है। यहाँ के मंदिर सिर्फ पूजा जगह नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति का भी खजाना हैं। इस गाइड में हम सबसे प्रसिद्ध पाँच मंदिरों पर नज़र डालेंगे – उनका इतिहास, खुलने‑बंद होने का समय और आपके लिए कुछ आसान टिप्स।

1. इम्पीरियल टेंपल (इंटेग्रेटेड टेम्पल)

इम्पीरियल टेंपल बेंगलुरु के मध्य में स्थित है और इसे अक्सर ‘ड्राइवरों का मंदिर’ कहा जाता है। यहाँ हर सुबह 6 बजे से लेकर शाम 8 बजे तक दर्शन होते हैं। अगर आप काम की भीड़‑भाड़ वाले समय में जाना चाहते हैं, तो दोपहर के भोजन के बाद का स्लॉट सबसे शांत रहता है। प्रवेश मुफ्त है और फोटो लेने की अनुमति मिलती है, बस सॉर्टिंग एरिया में थोड़ा सावधानी बरतें।

2. ललबागोशव मंदिर (बिस्किट बॉल टेम्पल)

यह छोटा लेकिन दिलचस्प मंदिर लाल्बेगा रोड पर स्थित है, जहाँ हर साल ‘स्नान महोत्सव’ के दौरान हजारों श्रद्धालु आते हैं। यहाँ की मुख्य आकर्षण रजत शिल्प और पिचकारी से पानी का प्रावाह है। पूजा समय सुबह 5:30 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक रहता है। यदि आप फोटो लेना पसंद करते हैं, तो सुबह जल्दी या देर शाम के समय सबसे बेहतर रोशनी मिलती है।

इन दो मंदिरों को छोड़कर बेंगलुरु में कई अन्य स्थल भी देखे जा सकते हैं जैसे कि थ्री लिंग कंदेश्वर, कुंडलिनी शैडर और बैद्यावली फोर्ट टेम्पल। प्रत्येक की अपनी कहानी है—जैसे थ्री लिंग का प्राचीन नक्काशी वाला द्वार और कुंडलिनी का शांत बगीचा जो ध्यान के लिए उपयुक्त है।

जब आप मंदिरों की यात्रा पर निकलें, तो कुछ छोटे‑छोटे नियम याद रखें: जूते बाहर उतारें, कैमरा या मोबाइल को साइलेंट मोड में रखें और अगर फोटो अनुमति नहीं है तो उसका सम्मान करें। साथ ही, यदि आप स्थानीय भोजन का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो मंदिर के पास कई छोटे स्टॉल होते हैं जहाँ आप इडली‑वड़िया या चाय की प्लेट ले सकते हैं।

बेंगलुरु में सार्वजनिक परिवहन अच्छी तरह से व्यवस्थित है—मेट्रो, बस और ऑटो सब जगह उपलब्ध हैं। खासकर रविवार को मंदिरों के पास भीड़ बढ़ जाती है, इसलिए समय बचाने के लिए पहले ऑनलाइन रजिस्टरेशन या टिकट बुकिंग कर लें (अगर लागू हो)।

अंत में यह कहना सही रहेगा कि बेंगलुरु के मंदिर सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि शहर की विविधता को समझने का एक और तरीका हैं। चाहे आप इतिहास पसंद करते हों, शांति चाहते हों या बस स्थानीय संस्कृति को देखना चाहते हों—इन जगहों पर हर कोई कुछ न कुछ नया पाएगा। तो अगली बार जब भी बेंगलुरु आएँ, इन मंदिरों में से कम से कम दो जरूर देखें, अनुभव आपका इंतज़ार कर रहा है।

7 नव॰

ऋषि सुनक और अक्षता मूर्ति का बेंगलुरु मंदिर यात्रा: पारिवारिक समय और स्थानीय गतिविधियों का आनंद

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ऋषि सुनक और अक्षता मूर्ति का बेंगलुरु मंदिर यात्रा: पारिवारिक समय और स्थानीय गतिविधियों का आनंद

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति और उनके माता-पिता नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति के साथ बेंगलुरु के एक मंदिर में गए। इसके बाद वे जेयनगर स्थित थर्ड वेव कॉफी हाउस में देखे गए। यह यात्रा सुनक परिवार के लिए व्यक्तिगत महत्व रखती है, जिसमें उन्होंने अपने प्रियजनों के साथ समय बिताया और कुछ स्थानीय गतिविधियों का लुत्फ उठाया।

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