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एम्मानुएल मैक्रों: फ्रांस के राष्ट्रपति की ताज़ा ख़बरें और भारत‑फ्रांस दोस्ती

आपने अभी-अभी सुना होगा कि फ्रांस के राष्ट्रपति एम्मानुएल मैक्रों ने कई नए कदम उठाए हैं। चाहे वह जलवायु परिवर्तन पर नई प्रतिबद्धता हो या यूरोपीय संघ में शक्ति संतुलन, उनका हर फैसला बड़ी खबर बन जाता है। इस लेख में हम उनके हालिया काम को आसान भाषा में समझेंगे और देखेंगे कि भारत‑फ्रांस रिश्ते कैसे बदल रहे हैं।

मैक्रों के प्रमुख नीति कदम

सबसे पहले बात करते हैं पर्यावरण की। मैक्रोन ने यूरोपीय ग्रीन डील को तेज करने का वादा किया है, जिससे 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में आधी कटौती होगी। उन्होंने सौर और पवन ऊर्जा के लिए बड़े निवेश की घोषणा की, जो फ्रांस के उद्योगों को नई नौकरियों से भर देगा। दूसरा बड़ा कदम था डिजिटल टैक्स पर समझौता, जहाँ यूरोपीय देशों ने बड़ी टेक कंपनियों पर कर बढ़ाने का निर्णय लिया। यह कदम वैश्विक व्यापार में नया मोड़ ला सकता है।

भारत‑फ्रांस रिश्ते की नई दिशा

अब बात करते हैं भारत‑फ़्रांस दोस्ती की। मैक्रोन ने हाल ही में बताया कि फ्रांस भारत के साथ रक्षा सहयोग को और गहरा करेगा, खासकर विमानन और नौसैनिक तकनीक में। उन्होंने दो देशों के बीच व्यापारिक लक्ष्य को 2028 तक 30 बिलियन यूरो तक बढ़ाने का इरादा जताया है। इस योजना में कृषि निर्यात, शिक्षा और पर्यटन को प्रमुख क्षेत्रों में रखा गया है। इससे भारतीय उद्यमियों को फ्रांस में नए बाजार मिलेंगे और दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।

एक दिलचस्प बात यह भी है कि मैक्रोन ने यूरोपीय संघ के भीतर भारत के साथ सामरिक साझेदारी को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा। इस पहल से एशिया‑पैसिफिक क्षेत्र में फ्रांस की भूमिका मजबूत होगी और भारत को वैकल्पिक सहयोगी मिलेगा।

आप सोच सकते हैं कि ये सब कैसे आपके रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर असर डालेंगे। अगर आप एक छात्र या नौकरी तलाश रहे हैं, तो फ्रांस के बढ़ते हरित प्रोजेक्ट्स में नई इंटर्नशिप और जॉब अपॉर्च्युनिटी मिल सकती है। व्यापारियों को फ़्रेंच बाजार में आसान प्रवेश मिलेगा, खासकर जब दो पक्षों ने कस्टम प्रक्रिया को सरल बनाने का वादा किया है।

भविष्य की योजनाओं पर नज़र डालते हुए मैक्रोन ने कहा कि यूरोप को डिजिटल सुरक्षा और साइबर डिफेंस में भारत से सहयोग चाहिए। इसका मतलब है अधिक तकनीकी स्टार्ट‑अप्स के बीच साझेदारी, जो दोनों देशों को नई प्रौद्योगिकियों का लाभ देगी।

समापन में, यह स्पष्ट है कि एम्मानुएल मैक्रों की नीतियां सिर्फ यूरोप तक सीमित नहीं हैं; उनका असर भारत सहित कई देशों पर पड़ रहा है। अगर आप इन बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारी साइट पर रोज़ नई ख़बरें पढ़ते रहें।

7 जुल॰

फ्रांस में मैक्रों का सफर: सफल राजनैतिक शुरुआत से कमजोर नेता तक

राजनीति

फ्रांस में मैक्रों का सफर: सफल राजनैतिक शुरुआत से कमजोर नेता तक

फ्रांस के राष्ट्रपति एम्मानुएल मैक्रों, जो कभी एक सफल और युवा नेता थे, अब घर और विदेश में अपनी कमजोर होती हुई सत्ता का सामना कर रहे हैं। संसदीय चुनाव में उनकी पार्टी की लोकप्रियता में कमी आई है, जिससे शक्ति संतुलन में बदलाव आया है। उनकी सेंट्रिस्ट गठबंधन हार की कगार पर है, जिससे उन्हें एक प्रतिद्वंदी पार्टी के प्रधानमंत्री के साथ शक्ति साझा करनी पड़ सकती है।

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