हर वर्ष 21 जून को पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को योग के अनेक फायदों के प्रति जागरूक करना है। योग, जो कि भारत की प्राचीन विधा है, केवल शारीरिक क्रियाओं का ही नहीं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का भी साधन है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 दिसंबर 2014 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया। इस घोषणा का उद्देश्य योग के माध्यम से सभी देशों और संस्कृतियों के लोगों को जोड़ना और एक सामंजस्य और शांति का संदेश फैलाना है।
योग का अर्थ संस्कृत शब्द 'युज' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'मिलना' या 'जुड़ना।' यह शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक प्रथाओं का मेल है जो व्यक्ति को पूरी तरह से स्म र्पूर्ण बनाने का प्रयास करता है। योग का अभ्यास शारीरिक मुद्रा (आसन), श्वास तकनीक (प्राणायाम), ध्यान, और नैतिक सिद्धांतों पर आधारित है।
सदियों पुरानी यह विधा शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति, और आत्मिक विकास में सहायक है। नियमित योगाभ्यास से शरीर की लचक बढ़ती है, तनाव कम होता है, एकाग्रता में सुधार होता है, नींद की गुणवत्ता बढ़ती है, और आत्म-सचेतना में वृद्धि होती है।
योग न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि यह विश्वभर में अपनाई जाने वाली एक प्रथामान्य भाषा बन चुकी है। योग दिवस पर हर साल अनेक देशों में योग सत्र, कार्यशालाएँ, सेमिनार, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य योग के फायदों को हर व्यक्ति तक पहुँचाना है।
योग के अनेक शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ हैं। नियमित योगाभ्यास से व्यक्ति को शारीरिक लचक और मजबूती मिलती है, मानसिक तनाव कम होता है, एकाग्रता और ध्यान में सुधार होता है, नींद की गुणवत्ता बढ़ती है, और स्वयं के प्रति जागरूकता बढ़ती है।
योग केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन शैली का एक रूप है जो जीवन को संतुलित और सामंजस्यपूर्ण बनाता है। यह संस्कृति और धर्म के बंधनों को पार कर लोगों को जोड़ता है और वैश्विक शांति और सद्भावना का संदेश फैलाता है।
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