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अडानी विल्मर स्टॉक में भारी गिरावट: अडानी समूह का हिस्सेदारी बिक्री की घोषणा

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अडानी विल्मर स्टॉक में भारी गिरावट: अडानी समूह का हिस्सेदारी बिक्री की घोषणा

अडानी विल्मर में हिस्सेदारी बिक्री की नई योजना

अडानी समूह, जो भारत में सबसे बड़े वाणिज्यिक साम्राज्यों में से एक है, ने हाल ही में अपनी सहायक कंपनी अडानी विल्मर लिमिटेड में अपनी 44% हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की है। यह घोषणा संगठन की रणनीतिक दिशा के हिस्से के रूप में आती है, जिसमें कोर इंफ्रास्ट्रक्चर व्यवसाय पर जोर दिया गया है। बिक्री की योजना दो चरणों में की जा रही है और इसका मूल्य $2 बिलियन के आसपास आंका गया है। इस कदम का उद्देश्य सार्वजनिक शेयरधारिता की न्यूनतम आवश्यकता को पूरा करना और संगत रूप से अपनी व्यावसायिक प्राथमिकताओं को पुनः निर्धारित करना है।

विलमार इंटरनेशनल के साथ साझेदारी और आगे की योजना

इस प्रस्तावित सौदे में अडानी एंटरप्राइजेज 13% हिस्सा बेचकर सार्वजनिक शेयरधारिता की आवश्यकता को पूरा करेगा। इसके बाद, विलमार इंटरनेशनल अडानी विल्मर के 31% हिस्से का अधिग्रहण करेगा, जिसका मूल्य ₹305 प्रति शेयर से अधिक नहीं होगा। यह मूल्य 30 दिसंबर को बंद हुए ₹328.75 के मूल्य से कम है। इस दिन अडानी विल्मर की बाजार में लगभग 5 बिलियन डॉलर की अनुमानित कीमत थी। इसके पूरा होने पर, अडानी समूह अडानी विल्मर से पूरी तरह बाहर हो जाएगा और इन प्रयोजनों का निवेश अपने कोर इंफ्रास्ट्रक्चर कारोबार में करेगा।

अडानी समूह की मौजूदा चुनौतियाँ

अडानी समूह की मौजूदा चुनौतियाँ

2024 का वर्ष अदानी समूह के लिए कई चुनौतियों भरा रहा है। इनमें से एक प्रमुख घटना नवंबर में हुई थी, जब समूह का स्टॉक उस समय धराशायी हो गया जब अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग ने गौतम अडानी पर कथित $250 मिलियन की रिश्वत योजना के आरोप लगाए। इसके चलते निवेशकों में भय व्याप्त हो गया और बाजार में प्रतिकूल प्रतिक्रिया देखी गई। हालांकि, दिसंबर में घोषित नई रणनीतिक योजना के चलते कुछ निवेशकों का विश्वास पुनः स्थापित होता दिखा।

अदानी एंटरप्राइजेज की स्थिति का पुन: मूल्यांकन

अडानी एंटरप्राइजेज का स्टॉक, वर्ष के शुरुआती 11% गिरावट के बावजूद, घोषणा के बाद 8% से अधिक की त्वरित वृद्धि देखने को मिला। यह दर्शाता है कि निवेशक समूह की नई व्यवसायिक योजनाओं पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं। हालांकि विश्वव्यापी चुनौतियाँ और निवेशकों की बदलती मनोदशा अडानी समूह के समक्ष कुछ ऐसी दीर्घकालिक बाधाएँ पेश कर सकती हैं, जिनका समाधान भविष्य में निकाला जाना होगा।

इस विकासक्रम में महत्वपूर्ण बात यह है कि अडानी समूह की यह कदम दर्शाता है कि वे न केवल वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं, बल्कि दीर्घकालिक परिस्थितियों के लिए भी रणनीतिक रूप से तैयार हो रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि समूह अपने कोर व्यवसाय पर किस तरह से ध्यान केंद्रित करता है और बाजार में अपने स्थान को कैसे मजबूत करता है।

5 टिप्पणि

Harsh Malpani
Harsh Malpani
1 जनवरी, 2025

अडानी वालों का तो हर बार ऐसा ही होता है... पहले गिरावट, फिर बचाव की घोषणा। लेकिन अब तो लगता है वो सच में साफ़ कर रहे हैं। बस अब इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दो, बाकी सब छोड़ दो।

INDRA SOCIAL TECH
INDRA SOCIAL TECH
1 जनवरी, 2025

इस तरह की रणनीतिक रीस्ट्रक्चरिंग लंबे समय में कंपनी के लिए अधिक स्थिरता ला सकती है। जब एक बिजनेस अपने मूल उद्देश्य की ओर लौटता है, तो बाजार भी उसका समर्थन करने लगता है। यह एक शांत, लेकिन गहरा बदलाव है।

Prabhat Tiwari
Prabhat Tiwari
2 जनवरी, 2025

ये सब बकवास है। अमेरिका ने दबाव डाला है, वो बेच रहे हैं क्योंकि उनके पास चुनौती नहीं है। 44% बेचना? ये तो देश का निजीकरण है। अडानी अब भी भारत के सबसे बड़े निवेशक हैं, लेकिन ये जो कर रहे हैं... ये तो राष्ट्र विश्वासघात है।

Palak Agarwal
Palak Agarwal
2 जनवरी, 2025

क्या ये सच में अच्छी बात है? मैं तो समझ नहीं पा रहा। अगर वो इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस कर रहे हैं, तो विल्मर को छोड़ना ठीक है? क्या विल्मर तो बहुत बड़ा बिजनेस है ना? कोई बता सकता है?

Paras Chauhan
Paras Chauhan
3 जनवरी, 2025

इस तरह के निर्णय अक्सर लंबे समय में फायदेमंद होते हैं। अडानी समूह ने अपने बैलेंस शीट को साफ़ किया है, जिससे निवेशकों को विश्वास होगा। बाजार ने पहले ही इसे स्वीकार कर लिया है - स्टॉक 8% ऊपर गया। ये तो बहुत स्मार्ट मूव है। 🙌

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