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अफगानिस्तान बनाम बांग्लादेश मैच में गुलबदिन नायब की ऐंठन ने बंधाया विवाद, विश्वकप सेमीफाइनल में अफगानिस्तान की एतिहासिक जीत

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अफगानिस्तान बनाम बांग्लादेश मैच में गुलबदिन नायब की ऐंठन ने बंधाया विवाद, विश्वकप सेमीफाइनल में अफगानिस्तान की एतिहासिक जीत

टी20 विश्व कप में अफगानिस्तान और बांग्लादेश के बीच एक बेहद रोमांचक मुकाबला देखने को मिला, जिसमें अफगानिस्तान ने आठ रन से जीत दर्ज कर अपने सेमीफाइनल में जगह पक्की की। हालांकि, इस मैच में एक घटना ने खूब विवाद खड़ा कर दिया था।

मैच के 12वें ओवर में अफगानिस्तान के खिलाड़ी गुलबदिन नायब अचानक नीचे गिर पड़े और उन्होंने अपने पैरों में क्रैंप्स की शिकायत की। इस घटना ने बांग्लादेश के खिलाफ खेल को विवादास्पद बना दिया।

घटना उस समय और भी संदिग्ध हो गई जब अफगानिस्तान के कोच जोनाथन ट्रॉट ने अपने खिलाड़ियों को खेल धीमा करने का इशारा किया। इस फैसले के पीछे कारण यह था कि बारिश के कारण खेल में बाधा पड़ी थी और बांग्लादेश की टीम डकवर्थ-लुईस पैरा स्कोर से केवल दो रन पीछे थी।

अफगानिस्तान के खिलाड़ियों पर समय बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए कई पूर्व खिलाड़ियों ने नायब की परेशानी की सच्चाई पर सवाल उठाए। इसमें साइमन डूल, पोम्मी बंबवा, रविचंद्रन अश्विन, माइकल वॉन, और इयान स्मिथ शामिल थे। उन्होंने नायब की ऐंठन को एक रणनीतिक चाल माना और इसे खेल भावना के खिलाफ बताया।

मैदान में इलाज के बाद नायब थोड़ी देर के लिए बाहर गए, लेकिन 13वें ओवर में मैदान पर लौट आए और 15वें ओवर में एक महत्वपूर्ण विकेट भी लिया, जिससे अफगानिस्तान की टीम को मजबूती मिली।

इस दौरान बांग्लादेश की टीम 81 पर 7 विकेट गवा चुकी थी और लक्ष्य से केवल दो रन पीछे थी। अंत में अफगानिस्तान ने यह मैच 8 रन से जीतकर पहली बार विश्व कप सेमीफाइनल में अपना स्थान पक्का कर लिया। इस ऐतिहासिक जीत ने अफगानिस्तान क्रिकेट के लिए एक नया मील का पत्थर स्थापित किया।

हालांकि, नायब की ऐंठन पर छिड़े विवाद ने इस जीत के मजे को कुछ हद तक कम कर दिया। कई लोग इसे खेल की भावना के खिलाफ मान रहे हैं और अफगानिस्तान टीम की खेल रणनीति पर सवाल उठाते हुए इसे खेल के प्रति अनुचित करार दे रहे हैं।

यद्यपि अफगानिस्तान टीम की इस जीत ने उनके समर्थकों को गर्वित किया, लेकिन यह विवाद एक उदाहरण बन गया कि कैसे खेलों में रणनीति और खेल भावना के बीच संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

इस मैच ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि यह खिलाड़ियों के मानसिक और नैतिक मूल्यांकन का भी मैदान है। हर एक कार्रवाई का गहरा प्रभाव पड़ता है और यह खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि लाखों समर्थकों की भावनाओं को भी छूता है।

आखिरकार, अफगानिस्तान की इस जीत ने उन्हें पहली बार विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचने का मौका दिया, जो किसी भी टीम के लिए एक बड़ा उपलब्धि है। इसे अफगानिस्तान क्रिकेट के लिए एक ऐतिहासिक मूवमेंट के रूप में देखा जा रहा है।

10 टिप्पणि

INDRA SOCIAL TECH
INDRA SOCIAL TECH
27 जून, 2024

इस मैच के बाद जो बहस छिड़ी है वो सिर्फ खेल के बारे में नहीं है बल्कि हमारे खेल की भावना के बारे में है। जब तक हम रणनीति को धोखा बताते रहेंगे तब तक हम खुद को नहीं बदल पाएंगे। खेल की भावना तभी बचती है जब हम अपने नियमों के भीतर खेलते हैं और उनके बाहर नहीं।

Prasanna Pattankar
Prasanna Pattankar
28 जून, 2024

गुलबदिन नायब को क्रैंप्स हुए?? बस यही बात है… अफगानिस्तान की टीम ने डकवर्थ-लुईस को एक अंग्रेजी जादू की तरह इस्तेमाल किया… बांग्लादेश वालों को बस इंतज़ार करना था, लेकिन अफगानिस्तान ने एक ऐंठन से खेल का दिमाग बदल दिया… ये खेल नहीं, ये नाटक है।

Bhupender Gour
Bhupender Gour
29 जून, 2024

ये जो नायब गिरा वो बिल्कुल फिल्मी सीन लगा था भाई साहब अफगानिस्तान की टीम ने तो खेल नहीं बल्कि टीवी शो बना दिया अब विश्वकप में भी ड्रामा चल रहा है

sri yadav
sri yadav
30 जून, 2024

क्या आपने कभी सोचा कि जब एक देश के लोग लगातार युद्ध और अस्थिरता के बीच जी रहे हों तो उनके लिए ये जीत सिर्फ एक मैच नहीं बल्कि एक जीवन का अधिकार है? अगर इस जीत के लिए एक ऐंठन भी जरूरी थी तो फिर हम क्यों उस पर नियति लगा रहे हैं? जब तक हम अपने अहंकार को बाहर नहीं फेंकेंगे तब तक हम खेल की भावना को नहीं समझ पाएंगे।

Pushpendra Tripathi
Pushpendra Tripathi
1 जुलाई, 2024

इस बार तो बांग्लादेश की टीम बहुत निर्बल लग रही है… वो तो बस टाइम बर्बाद करने का आरोप लगा रहे हैं लेकिन क्या उन्होंने कभी खुद को देखा है? जब वो अपने बल्लेबाज़ों को बार-बार आउट कर रहे थे तो वो तो बस बेकार का खेल खेल रहे थे… अफगानिस्तान ने बस जीतने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल किया और ये तो खेल का नियम है।

Indra Mi'Raj
Indra Mi'Raj
1 जुलाई, 2024

मैं तो बस यही कहना चाहती हूं कि जब एक आदमी जिसने अपने देश के लिए लड़ाई लड़ी है वो अचानक गिर जाए तो उसकी ऐंठन को नाटक कहना बहुत बड़ी बेइमानी है। इस खेल में दर्द भी है और उम्मीद भी… और इस दर्द को नजरअंदाज़ करना हमारी बुद्धिमत्ता का परीक्षण है।

Harsh Malpani
Harsh Malpani
3 जुलाई, 2024

अफगानिस्तान ने जीत ली तो बहुत बढ़िया अब बाकी सब बातें छोड़ दो ये तो खेल है ना जिंदगी नहीं

Prabhat Tiwari
Prabhat Tiwari
3 जुलाई, 2024

ये सब एक अमेरिकी-भारतीय षड्यंत्र है… डकवर्थ-लुईस को इस्तेमाल करने का तरीका बांग्लादेश के खिलाफ बनाया गया है… अफगानिस्तान को विश्वकप में पहुंचाने के लिए एक नया फॉर्मूला बनाया गया है… ये सब बस एक बड़ा ब्रांडिंग ट्रिक है… अफगानिस्तान की टीम को तो बस एक प्रॉक्सी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

Palak Agarwal
Palak Agarwal
3 जुलाई, 2024

मैं तो बस इतना कहना चाहता हूं कि नायब ने जब वापस आया तो उसने अपना बेस्ट दिया… वो जिस दर्द में खेल रहा था वो देखकर लगा जैसे वो अपने देश की आत्मा के लिए खेल रहा हो… जीत तो अच्छी है लेकिन उसके पीछे की लड़ाई और भी बड़ी है।

Paras Chauhan
Paras Chauhan
4 जुलाई, 2024

मैंने इस मैच को देखा और लगा जैसे क्रिकेट ने एक बार फिर इंसानियत को दिखाया… गुलबदिन नायब की ऐंठन या न होना, वो जो भी हुआ वो उसके दिल की आवाज़ थी… और अगर इस दिल की आवाज़ को हम खेल के नियमों के बाहर बता दें तो हम खुद को ही खो रहे हैं। खेल तो बस एक अवसर है… जीवन का।

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