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बांग्लादेश के इस्लामिक बैंकों में घोटाला: अरबों डॉलर की धोखाधड़ी और NPL संकट उजागर

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बांग्लादेश के इस्लामिक बैंकों में घोटाला: अरबों डॉलर की धोखाधड़ी और NPL संकट उजागर

बांग्लादेश के इस्लामिक बैंकिंग सेक्टर में हिली बुनियाद

बांग्लादेश में इस्लामिक बैंकों का भरोसा अब बुरी तरह से डगमगा गया है। हाल ही में हुए ऑडिट और जांच में भारी वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई हैं। इनमें सबसे बड़ी चर्चा इस्लामिक बैंक बांग्लादेश लिमिटेड (IBBL), सोशल इस्लामी बैंक, यूनियन बैंक, फर्स्ट सिक्योरिटी इस्लामी बैंक, ग्लोबल इस्लामी बैंक और पद्मा बैंक की है, जिन पर अरबों टका के कुप्रबंधन और राजनीतिक दखल का आरोप है। बताया जा रहा है कि इन बैंकों की बागडोर एक ही कारोबारी समूह के हाथ में है।

इन मामलों में सबसे जबरदस्त खुलासा बांग्लादेश बैंक और इंटरनल जांच में हुआ, जिसमें पता चला कि जुलाई 2023 से जुलाई 2024 के बीच केंद्रीय बैंक ने IBBL से लगभग 1.6 अरब डॉलर खरीदे थे, लेकिन बैंक ने ज्यादातर डॉलर डिलीवर नहीं किए। 11 अगस्त 2024 की एक रात अचानक 550 मिलियन डॉलर के रिजर्व में एडजस्टमेंट कर आंकड़ों को छिपाने की कोशिश हुई, जिससे इंटरनेशनल मानकों की सीधी अनदेखी हुई।

नॉन-परफॉर्मिंग लोन (NPL) यानी ऐसे कर्ज जो बैंक वसूल नहीं पाते, उसमें भी रिकॉर्ड तेजी आई है। सोशल इस्लामी बैंक के कुल 35% लोन डिफॉल्ट (13,267 करोड़ टका), ICB इस्लामी बैंक का 91% और पद्मा बैंक की डिफॉल्ट रेट 87% तक पहुंच गई है। यहां तक कि सरकारी अग्रणी बैंक- अग्रणी बैंक का भी 27,932 करोड़ टका (38.45%) एनपीएल बन गया, जिसके लिए बड़े बिजनेस ग्रुप्स जैसे बशुंधरा और ओरियन को जिम्मेदार माना जा रहा है।

राजनीतिक दखल के मामले भी ऑडिट्स में खुलकर आए हैं। जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री शेख हसीना के सलाहकार रहे सलाह एफ रहमान ने IFIC बैंक के जरिए सिर्फ 6% हिस्सेदारी के बावजूद Beximco ग्रुप के लिए 10,000 करोड़ टका का लोन मंजूर करवाया। जब 2024 में सत्ता बदली, तो केंद्रीय बैंक ने ऐसे बैंकों के बोर्ड्स पर कार्रवाई शुरू की, जिनमें पूर्व सत्ताधारियों के करीबी लोग बैठे थे।

घोटाले की जड़: नैतिकता की आड़ में भ्रष्टाचार

विश्लेषकों ने इन घोटालों को बांग्लादेश की बैंकिंग हिस्ट्री के पुराने विवादों (BASIC, हॉलमार्क, अनोनटेक्स) से जोड़कर देखा। आरोप है कि बैंकों ने इस्लामी फाइनेंस की ईमानदारी वाली छवि का इस्तेमाल असल में लोन हेराफेरी और काला धन खपाने के लिए किया। खुद पूर्व बैंक अधिकारी मोहम्मद नुरुल अमीन ने डॉलर घोटाले को डबल-एंट्री अकाउंटिंग का मोटा उल्लंघन तथा 'अक्षम्य अपराध' करार दिया। उनके मुताबकि, इस बार बैंकिंग सिस्टम का भरोसा ही दांव पर है।

हालात सुधरें, इसके लिए रेगुलेटर्स ने इन बैंकों को 4,000 करोड़ टका की आपात मदद दी है लेकिन इंटरनल डॉक्युमेंट्स के अनुसार, बैंकों के राजनीतिक गठजोड़ और ज्यादा गहरी जड़ें जमा चुके हैं। नतीजतन, आधिकारिक लोग कह रहे हैं कि यदि हालात नहीं संभले तो मजबूरन इमरजेंसी टेकओवर जैसे कदम उठाने पड़ सकते हैं, ताकि खाताधारकों का विश्वास बचा रहे। बांड्स खत्म हो चुके हैं, इसलिए भारी संकट खड़ा हो गया है।

इस घोटाले में हिस्सेदारी करने वालों की जवाबदेही तय होने तक देश की बैंकिंग व्यवस्था गहरे संकट से गुजरती रहेगी। बैंकिंग सेक्टर में घटिया गवर्नेंस और नैतिकता के नाम पर पॉलिटिकल खेल, सीधे जनता की कमाई और अर्थव्यवस्था की जड़ पर चोट कर रहे हैं। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि बांग्लादेश बैंक और नई सरकार इस संकट को कैसे हैंडल करती है।

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