जापान के शांत और स्थिर वातावरण में अचानक आई तब्दीली ने देश को चौकन्ना कर दिया। सोमवार, 13 जनवरी 2025 को जापान के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में आए 6.6 तीव्रता के भूकंप ने दुनिया की नजरें फिर एक बार उस देश पर खींच दीं, जो भूकंप की संभावनाओं के लिए पहले से ही जाना जाता है। मुख्य रूप से मियाज़ाकी और कोच्ची प्रदेश प्रभावित रहे। इस भूकंप का केंद्र ह्युगा नादा समुद्र के नीचे था, जो लगभग 36 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था। जापान की भौगोलिक स्थिति और वहां की जीवन शैली भूकंप के अनुकूल हो चुकी है, फिर भी ऐसे झटके सामान्य जीवन को हिला सकते हैं।
भूकंप के तुरंत बाद ही जापान के मौसम विज्ञान एजेंसी (JMA) ने मियाज़ाकी और कोच्ची प्रदेशों के कुछ हिस्सों के लिए सुनामी की चेतावनी जारी की। सुनामी की लहरें 1 मीटर तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया था, हालांकि शुक्र है कि यह सिर्फ अनुमान ही साबित हुआ। लहरों की ऊंचाई अपेक्षित सीमा से कम रही। मियाज़ाकी में लहरें केवल 20 सेंटीमीटर तक और कोच्ची में 10 सेंटीमीटर तक ही उठीं। आधी रात के पहले ही सुनामी चेतावनी को हटा लिया गया। इससे स्थानीय लोगों और प्रशासन की चिंता थोड़ी कम हुई।
भूकंप के चलते कुछ क्षेत्रों में मामूली नुकसान की खबरें मिली। एक हल्की भूस्खलन ने सड़क बाधित कर दी और कुछ जल पाइपें फट गईं। एक व्यक्ति हल्के रूप से घायल हुआ, जब वह कुछ सीढ़ियां उतरते हुए फिसल गया। इस भूकंप के प्रभाव से निपटने के लिए प्रशासन और लोगों के बीच एक सामंजस्यपूर्ण तनाव देखने को मिला। जापान सरकार ने इस घटना पर बारीकी से नजर बनाए रखा और कहीं किसी अज्ञात नुकसान की आशंका न हो, इसके लिए तैयार रही।
इस भूकंप ने नानकाई ट्रफ में संभावित भूगर्भीय गतिविधियों की ओर भी ध्यान खींचा। JMA इस बात की जांच कर रही है कि क्या यह भूकंप नानकाई ट्रफ में संभावित मेगाक्वेक के बढ़ते जोखिम का संकेत हो सकता है। नानकाई ट्रफ प्रत्येक 100 से 150 वर्षों में बड़ी झटकों की संभावना के साथ जुड़ा हुआ है। अंतिम बार इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूकंप 1944 में टोननकाई और 1946 के नानकाई में आए थे, जिन्होंने जापान के व्यापक क्षेत्रों को प्रभावित किया था।
केंद्र सरकार ने पहले ही अगस्त माह में इसी क्षेत्र में आए 7.1 तीव्रता के भूकंप के बाद एक सप्ताह के आपातकालीन तैयारी का आह्वान किया था। उनके अनुसार, भविष्य में 8 से 9 तीव्रता के भूकंप की 70 से 80 प्रतिशत संभावना है। जनसंख्या घनी क्षेत्रों में इसके प्रभाव को कम करने के लिए सतर्कता और जागरूकता कार्यक्रम चलाई जा रही है।
इस स्थिति में राहत की एक बात यह थी कि एहिमे प्रांत के इकाटा परमाणु ऊर्जा संयंत्र और कागोशिमा के सेनदाई संयंत्र में कोई असामान्यता नहीं पाई गई। हालांकि, एहतियात के तौर पर क्यूशु शिंकान्सेन बुलेट ट्रेन सेवा के कुछ हिस्से अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए।
इस घटना ने जापान को एक बार फिर दिखाया कि चाहे कितनी भी तैयारी हो, प्राकृतिक आपदाएं अप्रत्याशित हो सकती हैं। सरकारी विभागों और लोगों के बीच सहयोग से ही ऐसे खतरों से निपटने में मदद मिल सकती है। जानकारी में विस्तार और तत्काल रिपोर्टिंग ने लोगों को भूकंप के प्रभावों से निपटने में मदद की। कला, विज्ञान और तकनीकी प्रगति की वजह से यह अब संभव हो सका है कि भूकंप जैसी आपदाओं को भी विजय बोला जा सके।
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