कन्नड़ टीवी मंच की मशहूर एंकर और अभिनेता, अपर्णा वस्तारे, जिनकी आवाज बेंगलुरु के Namma मेट्रो की घोषणाओं में सुनाई देती थी, का 11 जुलाई 2024 को निधन हो गया। अपर्णा ने लंबे समय तक कैंसर से जूझने के बाद इस दुनिया को अलविदा कहा। उनके जाने से कन्नड़ फिल्म और टीवी जगत समेत सारा राज्य सदमे में है।
अपर्णा वस्तारे ने कन्नड़ फिल्मों और टीवी शो में एक प्रमुख भूमिका निभाई। उनका करियर शुरुआत में बेहद संघर्षमय था, लेकिन उनकी प्रतिभा और धैर्य ने उन्हें मनोरंजन की दुनिया में एक उंचा मुकाम दिलाया। उनकी प्रसिद्धि की शुरुआत फिल्म 'मसणदा होवू' से हुई थी, जो अपने समय की एक बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में उनके यादगार अभिनय ने उन्हें एक नया पहचान दिलाई। इसके बाद उन्होंने 'इंस्पेक्टर विक्रम' सहित कई अन्य फिल्में और धारावाहिकों में भी काम किया।
अपर्णा का अभिनय में आलीशान करियर था, जिसकी गिनती कन्नड़ फिल्म और टीवी उद्योग के सबसे बेहतरीन कलाकारों में होती है। उन्होंने अपने लंबे करियर में कई अनगिनत यादगार भूमिकाएं निभाईं और दर्शकों के दिलों में अपनी एक विशेष जगह बनाई। उनके अभिनय की गहराई और स्पष्टता ने उन्हें एक असाधारण कलाकार बना दिया था।
फिल्मों के अलावा अपर्णा ने टीवी कार्यक्रमों में भी एक जानी मानी उपस्थिति दर्ज कराई। बतौर टीवी ऐंकर उन्होंने कई चर्चित कार्यक्रमों की मेज़बानी की और दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया। अपर्णा का सक्रिय व्यक्तित्व और मनोरंजन की अनूठी शैली ने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बनाया। इसके साथ ही, उन्होंने रेडियो के क्षेत्र में भी अपने कदम रखे और राष्ट्रीय रेडियो चैनल, वीडी भारत के लिए रेडियो जॉकी के रूप में भी काम किया।
अपर्णा वस्तारे केवल एक अभिनेता और एंकर ही नहीं थी, वे नमा मेट्रो की भी आवाज बनी। बेंगलुरु में मेट्रो रेलगाड़ियों में सफर करने वाले यात्रियों को उनकी प्रभावशाली आवाज में यात्रा संबंधित घोषणाएं सुनने को मिलती थीं। उनकी आवाज ने हजारों यात्रियों को यात्रा के दौरान मार्गदर्शन और सुकून दिया। उन्होंने इस कार्य के जरिए भी अपनी लोकप्रियता का एक नया आयाम जोड़ा।
अपर्णा का जीवन केवल उनके पेशेवर कार्यों तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने निजी जीवन में भी अनेक चुनौतियों का सामना किया। कैंसर से उनकी लंबी लड़ाई ने उनके हौसले को कभी मंद नहीं किया। इस बीमारी के बावजूद वे अपने कार्यों में निरंतर सक्रिय रहीं और अंतिम समय तक अपनी ऊर्जा और उत्साह को बनाए रखा।
उनके सहकर्मियों और प्रशंसकों ने हमेशा उनके संघर्षशील और प्रेरणादायक व्यक्तित्व की सराहना की। अपर्णा की कहानी उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो जीवन में कठोर परिस्थितियों का सामना करते हैं।
अपर्णा वस्तारे के निधन पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गहरे शोक और संवेदना प्रकट की। उन्होंने अपर्णा की बहुमुखी प्रतिभा की तारीफ की और उनके परिवार को इस कठिन समय में धैर्य रखने का संदेश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अपर्णा वस्तारे कभी हमारे दिलों से ओझल नहीं होंगी और उनकी यादें हमारे साथ हमेशा जीवित रहेंगी।
10 टिप्पणि
udit kumawat
13 जुलाई, 2024अपर्णा वस्तारे की आवाज़... बस, ये एक शब्द है। नम्मा मेट्रो में सुनकर लगता था, जैसे कोई अपने घर के बारे में बता रहा हो। ये आवाज़ अब नहीं होगी।
Ankit Gupta7210
14 जुलाई, 2024इस तरह के लोगों को भूलने की कोशिश करते हैं लेकिन असली कलाकार तो इतिहास में रहते हैं। अब तक कोई नहीं बताया कि ये सब निजी लाभ के लिए किया गया था या नहीं। अपर्णा का नाम तो अभी तक सुनाई देता है।
Yash FC
16 जुलाई, 2024जब आप किसी की आवाज़ से जुड़ जाते हैं, तो वो आपके रोज़ के रूट में एक शांति बन जाती है। अपर्णा ने बस एक घोषणा नहीं की, बल्कि एक अनुभव दिया। जब आप थके होते हैं, तो उनकी आवाज़ आपको याद दिलाती थी कि आप अभी भी जी रहे हैं।
sandeep anu
17 जुलाई, 2024ये बस एक एंकर नहीं थीं... ये एक आवाज़ थीं जिसने बेंगलुरु के हर कोने में जान डाल दी। मैं रोज़ मेट्रो में जाता था और उनकी आवाज़ सुनकर मुस्कुरा जाता था। अब वो आवाज़ नहीं होगी... लेकिन उसका असर हमेशा रहेगा।
Shreya Ghimire
18 जुलाई, 2024ये सब एक बड़ी योजना है। देखो, एक ऐसी व्यक्ति जिसकी आवाज़ लाखों लोगों को रोज़ सुनने को मिलती है, अचानक कैंसर से मर जाती है? और फिर सभी राजनेता एक साथ शोक प्रकट करने लगे? ये तो बहुत साफ़ है... इसके पीछे कोई बड़ा अभियान है। क्या आपने कभी सोचा कि ये आवाज़ वाला ट्रैक अब किसने बदल दिया? क्या ये सब अचानक हुआ? मैं जवाब नहीं दूंगा... लेकिन आप सोचिए।
Prasanna Pattankar
18 जुलाई, 2024अरे भाई... ये सब बहुत भावुक है। लेकिन क्या ये लड़की ने अपने कैंसर के दौरान भी कोई टैक्स नहीं दिया? क्या ये सब एक्टिंग है? कौन जानता है कि वो असल में क्या चाहती थी? लोग तो बस एक आवाज़ के लिए रो रहे हैं... असली लोगों को कोई नहीं देखता।
Bhupender Gour
20 जुलाई, 2024अपर्णा वस्तारे की आवाज़ ने मेरी सुबह बनाई... अब बस खालीपन है। जिंदगी बस ऐसी है दोस्तों। एक दिन तुम्हारी आवाज़ सुनी जाएगी तो दूसरे दिन तुम नहीं होगे। बस इतना ही।
sri yadav
21 जुलाई, 2024ये सब बहुत बुनियादी है। आप लोग एक टीवी एंकर के लिए रो रहे हैं? जबकि देश में लाखों लोग भूखे मर रहे हैं। क्या ये एक बड़ी गलती नहीं है? हम तो अपने स्वार्थ के लिए एक आवाज़ को निशाना बना रहे हैं। अपर्णा ने जो किया, वो बहुत छोटा था।
Pushpendra Tripathi
21 जुलाई, 2024क्या आपने कभी सोचा कि उनकी आवाज़ को इतना बड़ा दर्जा क्यों दिया जा रहा है? क्या ये बस एक नियमित नौकरी थी? क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपनी बीमारी के दौरान भी काम किया? ये बातें तो किसी ने नहीं बताईं। ये एक निजी संघर्ष था। और अब ये सब एक नाटक बन गया।
Indra Mi'Raj
22 जुलाई, 2024उनकी आवाज़ सुनकर लगता था जैसे कोई मुझे गले लगा रहा हो... बिना किसी शब्द के। जिंदगी अक्सर इतनी ही छोटी होती है कि हम उसे नहीं देख पाते। अपर्णा ने बस एक आवाज़ दी... और वो आवाज़ अब हमारे दिलों में रह गई।