विज्ञान की दुनिया में 2024 में एक बड़ा सम्मान विक्टर एम्ब्रॉस और गेरी रूवकन के हिस्से आया, जिन्हें मेडिसिन के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण अनुसंधान के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। उन्होंने माइक्रोआरएनए की खोज कर यह पता लगाया कि यह छोटे RNA अणु कैसे जीन विनियमन का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। इनके कार्य ने न केवल वैज्ञानिक जगत में बल्कि चिकित्सा विज्ञान में भी क्रांति ला दी है। यह पुरस्कार, करोलिंस्का इंस्टीट्यूट से दिया गया, एक मान्यता है उनके योगदान की जो उन्होंने माइक्रोआरएनए पर किया।
एलिगेंस, एक छोटे गोलाकार कृमि पर शोध करते समय एम्ब्रॉस और रूवकन को यह अहम खोज मिली। यह 1980 के दशक के अंत की बात है, जब ये दोनों वैज्ञानिक स्नातकोत्तर शोधकर्ता थे। उनके अनुसंधान से यह निष्कर्ष निकला कि माइक्रोआरएनए, मैसेंजर आरएनए (mRNA) से जुड़कर प्रोटीन उत्पादन को नियंत्रित कर सकते हैं। इसका तात्पर्य यह था कि यह छोटी RNA किश्ती जीन के संचालन में अहम भूमिका निभाती है, खासकर बहुकोशिकीय जीवों में।
एम्ब्रॉस और रूवकन के इस नायाब खोज को वैज्ञानिक समुदाय में आरंभिक दिनों में अधिक ध्यान नहीं मिला। उनकी यह खोज, जो दो अलग-अलग लेखों के रूप में 1993 में सेल पत्रिका में प्रकाशित हुई थी, उसे प्रारंभ में 'लगभग पूरी तरह अनसुना' किया गया। परंतु 2000 में रूवकन की टीम के अनुसंधानों से पता चला कि माइक्रोआरएनए अन्य पशुओं में भी प्रचलित थे, जिससे इसकी भूमिका की व्यापक समझ बनी। आज, वैज्ञानिक यह जानते हैं कि मानव जीनोम में एक हजार से भी अधिक विभिन्न प्रकार के माइक्रोआरएनए कोड होते हैं।
माइक्रोआरएनए के महत्व और उपयोगिता को समझने के बाद से, चिकित्सा के क्षेत्र में अनेक नई संभावनाएँ पैदा हुई हैं। मानव विकास को लेकर इसकी जानकारी ने हमें नए तरीके से बीमारी के उपचार की दिशाओं में विस्तार किया है। विशेषकर, कैंसर जैसी बीमारियों की चिकित्सा के दिशा में यह खोज अत्यंत महत्त्वपूर्ण साबित हुई। नोबेल समिति ने जोर देकर कहा कि एम्ब्रॉस और रूवकन का अनुसंधान यह बताता है कि वैज्ञानिक कौतूहल से प्रेरित शोध किस प्रकार बड़े विवरण हासिल कर सकते हैं। इनके अनुसंधान ने मूल जैव-विज्ञान को नई दृष्टि से अन्वेषण करने के लिए प्रेरित किया है। उनके इस अनुसंधान ने दिखा दिया है कि किसी छोटे खोज से भी बड़े-बड़े आयाम संभव हैं।
आगे बढ़ते हुए, ऐसी खोजें यह सहायता करेंगी कि कैसे आधुनिक विज्ञान और चिकित्सा का तालमेल कर हम मानवता के लिए बेहतर स्वास्थ्य स्थिति को प्राप्त कर सकते हैं। आज, दुनिया के वैज्ञानिक माइक्रोआरएनए के माध्यम से न केवल जीन विनियमन को समझ रहे हैं बल्कि यह भी जानने की कोशिश कर रहे हैं कि कैसे इन अणुओं के माध्यम से मानव जीवन के जटिल प्रश्नों का उत्तर पाया जा सकता है। क्यूंकि एक हजार से अधिक माइक्रोआरएनए मानव जीनोम में हैं, और सभी एक विशेष रूप से जीन विनियमन में भूमिका निभाते हैं, इसलिए स्वास्थ्य के संदर्भ में इनकी भूमिका का अध्ययन और अधिक तीव्रता से किया जा रहा है। यह अनुसंधान सिर्फ एक शुरुआत है। आने वाले वर्षों में, माइक्रोआरएनए और इसके प्रभाव का गहन अध्ययन इस क्षेत्र में नए दरवाजे खोल सकते हैं।
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