नोवाक जोकोविच, जो अब तक 24 बार के ग्रैंड स्लैम विजेता हैं, ने अक्सर इस तथ्य को साबित किया है कि वे दर्शकों के 'अपमान' को अपनी प्रेरणा का आधार बनाते हैं। इस बार विंबलडन में, जोकोविच ने महसूस किया कि दर्शक उनके प्रतिद्वंद्वी होल्गर रूने के अंतिम नाम को इस तरह से उच्चारित कर रहे थे जिससे कि ऐसा लगे वे उन्हें हूट कर रहे हैं। उन्होंने इसे व्यक्तिगत रूप से लिया और इस 'अपमान' को अपनी प्रेरणा का स्रोत बनाया।
यह कोई नई बात नहीं है कि जोकोविच दर्शकों के बीच से मिलने वाले नकारात्मक प्रतिक्रियाओं को अपनी ताकत बना लेते हैं। पहले भी कई मौकों पर यह देखा गया है कि जब फैंस उनके प्रतिद्वंद्वी को ज्यादा समर्थन देते हैं, तो वे और भी ज्यादा उत्साहित हो जाते हैं। हाल के दिनों में, होल्गर रूने के साथ उनका मुकाबला विंबलडन में था, जहां दर्शक उनके समर्थक की बजाए रूने के नाम को इतने लंबे समय तक खींच रहे थे कि यह हूटिंग जैसा लगता था। जोकोविच ने इसको गंभीरता से लिया और इसको अपने प्रदर्शन में दिखाया।
पूर्व प्रोफेशनल टेनिस खिलाड़ी जेम्स ब्लेक और एलिसिया मोलिक ने भी इस बात पर जोर दिया कि जोकोविच की यह विशेषता है कि वे 'अपमान' को अपनी प्रेरणा का स्रोत बना लेते हैं। ब्लेक ने कहा कि एक खिलाड़ी के लिए यह बहुत जरूरी होता है कि वह किस प्रकार आलोचनाओं का सामना करता है, और जोकोविच इसमें माहिर हैं। मोलिक ने भी जोकोविच की इस मानसिक दृढ़ता की सराहना की।
जोकोविच अब क्वार्टरफाइनल में एलेक्स डी मिनाउर के खिलाफ सामना करने के लिए तैयार हैं। जोकोविच ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे दर्शकों के व्यवहार से प्रभावित नहीं होते हैं। उन्होंने कहा कि वे पहले भी कई बार अधिक उत्तेजक मंचों पर खेल चुके हैं और वे इन स्थितियों में खेलने के आदी रहे हैं।
जैसे-जैसे टूर्नामेंट आगे बढ़ता है, यह देखना दिलचस्प होगा कि जोकोविच किस प्रकार इन परिस्थितियों का सामना करते हैं और अपने प्रदर्शन को कैसे सुधारते हैं।
यह सिर्फ जोकोविच ही नहीं थे जिन्हें दर्शकों के व्यवहार से परेशानी हुई। टूर्नामेंट के दौरान, एलेक्जेंडर ज्वेरेव, जो कि दो बार के प्रमुख फाइनलिस्ट रह चुके हैं, भी इस प्रकार की स्थितियों से प्रभावित हुए। उनके मैच के दौरान टेलर फ्रिट्ज के गेस्ट बॉक्स से की गई टिप्पणियों ने भी उन्हें नाराज कर दिया।
विंबलडन जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में, दर्शकों का समर्थन उस पतले धार के तलवार जैसा होता है, जहां वे किसी भी खिलाड़ी के खेल को प्रभावित कर सकते हैं। कई खिलाड़ियों के लिए, दर्शकों की यह प्रतिक्रिया एक चुनौती होती है जिसे उन्हें पार करना होता है। जोकोविच ने इस चुनौती को अपने लिए एक प्रेरणा के रूप में बदलने की कला विकसित की है। यहीं उनकी सबसे बड़ी ताकत भी है।
इस प्रकार, नोवाक जोकोविच ने फिर से साबित कर दिया है कि वे केवल खेल के मैदान पर ही नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता के मामले में भी अद्वितीय हैं। अब देखना यह है कि वे अपनी इस मानसिक दृढ़ता और खेल कौशल के दम पर विंबलडन में आठवां खिताब जीतने में सफल होते हैं या नहीं।
तो इन तमाम घटनाओं के बीच, नोवाक जोकोविच का यह सफर एक स्पष्ट संदेश देता है कि वे न केवल एक चैम्पियन खिलाड़ी हैं, बल्कि मानसिक दृढ़ता के भी अद्वितीय उदाहरण हैं।
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