पापुआ न्यू गिनी में भूस्खलन
पापुआ न्यू गिनी के यांबाली गांव में गत शुक्रवार को एक भीषण भूस्खलन हुआ, जिसमें सरकारी अधिकारिक जानकारी के अनुसार 2000 से अधिक लोग जिंदा दफन होने की संभावना है। यह अनुमान संयुक्त राष्ट्र के प्रारंभिक आंकलन 670 का तीन गुना है। सोमवार तक केवल पांच लोगों के शवों को खोजा जा सका है, जिससे मृतकों की संख्या अभी भी असमान्य बनी हुई है।
यह भूस्खलन न केवल लोगों के जीवन में तबाही ला चुका है, बल्कि ध्वस्त इमारतों, खाद्य बागानों और यांबाली गांव की आर्थिक धड़कन को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है। इस आपदा ने पूरे यांबाली गांव को अस्त-व्यस्त कर दिया है, जिससे वहां के निवासियों के जीवन में एक बड़ी चुनौती पैदा हो गई है।
अंतरराष्ट्रीय मदद और प्रतिक्रिया
सरकार ने औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय मदद की मांग की है ताकि राहत और बचाव कार्य को तेजी से संचालित किया जा सके। अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) ने सरकार के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का नेतृत्व किया है। हालांकि घटना का मापदंड निर्धारित करना कठिन साबित हो रहा है क्योंकि यह स्थान दूरस्थ है और वहां पर संचार सुविधाएं नहीं हैं। इसके साथ ही क्षेत्र में जनजातीय युद्ध भी चलता रहता है, जिससे राहत कार्य में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।
प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया और स्थिति की विषमता
पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मरापे ने आश्वासन दिया है कि वे घटना की पूरी तथ्यात्मक जानकारी उपलब्ध होने पर जनता के सामने लाएंगे। भूस्खलन के कारण प्रदेश के मुख्य राजमार्ग के 200 मीटर खंड में 6 से 8 मीटर तक मलबा जमा हो गया है, जिससे राहत कार्यकत्र्ताओं के लिए काम करना और भी कठिन हो गया है।
स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयास
स्थानीय निवासियों द्वारा खुदाई प्रयास किये जा रहे हैं, जिनमें बेलचे और खेती के औजारों का उपयोग हो रहा है। एक खुदाई मशीन भी दान की गई है ताकि खुदाई के कार्य को थोड़ा आसान बनाया जा सके। लेकिन, स्थान की अनिश्चित स्थितियां और ज़मीन का जगह-जगह शिफ्टिंग होना लगातार बचाव दल और बचे हुए लोगों के लिए खतरा बना हुआ है।
ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ले ने बताया कि उनके अधिकारी पापुआ न्यू गिनी के साथ संपर्क में हैं ताकि आवश्यक मदद दी जा सके। इस खतरनाक और अस्थिर परिस्थिति में बचाव और राहत कार्य न केवल चुनौतीपूर्ण है, बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के ध्यान की आवश्यकता है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, तुरंत और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। न केवल देश के निवासियों को बचाने के लिए बल्कि वहां की अर्थव्यवस्था को भी संरक्षित और पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है।
यह आपदा पापुआ न्यू गिनी के लिए एक बड़ा झटका है, जो न केवल प्रभावित लोगों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक कठिन समय है। सभी की प्रार्थना है कि जल्द से जल्द राहत और मदद उन तक पहुँचे, ताकि वे अपने जीवन को फिर से खड़ा कर सकें।
11 टिप्पणि
sandeep anu
29 मई, 2024ये तो बहुत बड़ी आपदा है भाई... लेकिन अगर हम सब मिलकर एक फंड बनाएं तो बहुत कुछ किया जा सकता है। मैंने अपने दोस्तों को भी बता दिया है, अगर कोई डोनेशन करना चाहे तो मुझसे संपर्क करे। हम एक दूसरे के लिए खड़े होना चाहिए।
Shreya Ghimire
30 मई, 2024ये सब एक बड़ा षड्यंत्र है, जानते हो क्या? अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया इस भूस्खलन को इंजीनियरिंग से बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि पापुआ न्यू गिनी के खनिज संसाधनों पर नियंत्रण पा सकें। ये भूस्खलन कभी प्राकृतिक नहीं होते, वो हमेशा मनुष्य के हाथों से होते हैं। सरकारें इसे छुपाती हैं क्योंकि वो जानती हैं कि अगर लोगों को पता चल गया तो वो उठ खड़े हो जाएंगे।
Prasanna Pattankar
1 जून, 2024अरे भाई, तुम लोग ये सब भावुक बातें क्यों कर रहे हो? ये जगह तो पहले से ही बर्बर है, लोग अपने घर बनाते हैं जहां भूस्खलन का खतरा है, फिर दुनिया को बचाने को कहते हो? आपकी इमोशनल बाइबल बहुत भारी है, और तुम उसे हर बार निकालकर दिखाते हो। जब तक तुम अपनी भावनाओं को अपने अंदर रखोगे, तब तक दुनिया बचेगी।
Bhupender Gour
3 जून, 2024ye sab bs time waste hai.. koi help nahi ho rhi.. log mar rahe hain aur hum yaha batein kar rahe hain.. jaldi se kuch karo ya phir chup rehna
sri yadav
4 जून, 2024क्या आपने कभी सोचा है कि ये भूस्खलन सिर्फ भूगोल का नतीजा नहीं, बल्कि उस सामाजिक असमानता का परिणाम है जिसे हम विकास के नाम पर बढ़ा रहे हैं? ये गांव जो अब ध्वस्त हुआ, वो पहले से ही एक अलग संस्कृति का हिस्सा था, जिसे हम नहीं समझते। और अब हम उनकी मदद के लिए राहत भेज रहे हैं, जैसे वो कोई अज्ञात जाति हो।
Pushpendra Tripathi
5 जून, 2024तुम सब ये बातें क्यों कर रहे हो? ये जगह इतनी दूर है कि वहां कोई भी राहत नहीं पहुंच सकती। ये लोग अपने ही जनजातीय युद्धों में मर रहे हैं। ये आपदा नहीं, ये एक नियमित घटना है। तुम लोग बाहर से आकर भावुक बन रहे हो। अपने घर की बात सुनो।
Indra Mi'Raj
5 जून, 2024मैं बस ये कहना चाहती हूं कि जो लोग अभी भी जिंदा हैं, उनके लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं। इस दुनिया में बहुत सारे लोग हैं जो बिना किसी नाम के लड़ रहे हैं। अगर तुम्हारे दिल में थोड़ी सी दया है, तो उनके लिए कुछ करो। बस इतना ही।
Harsh Malpani
5 जून, 2024yaar koi help kyu nahi kar rha? yeh log bhi insaan hain na.. bas ek choti si baat soch lo.. agar humare ghar me aisa ho to kya karenge? koi help karo please
INDRA SOCIAL TECH
7 जून, 2024इस तरह की आपदाओं के बारे में जब तक हम आर्थिक और राजनीतिक संरचनाओं को नहीं समझेंगे, तब तक हम बस भावनाओं के साथ खेल रहे होंगे। बचाव और राहत का नाम लेकर हम अक्सर अपनी अहंकार को बढ़ाते हैं। वास्तविक बदलाव तभी होगा जब हम इन जगहों को अपनी जिम्मेदारी के रूप में देखेंगे।
Prabhat Tiwari
8 जून, 2024अरे ये तो भारत के बाहर है, हम यहां अपने लोगों की देखभाल कर रहे हैं। ये जगह तो अंग्रेजों ने बनाया था, अब इनकी जिम्मेदारी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की है। हम अपने देश के लिए तैयार रहो, ये बाहरी आपदाओं में हमारा क्या हाथ है? ये सब बाहरी शक्तियों की साजिश है।
Palak Agarwal
9 जून, 2024मैं बस ये सोच रहा हूं कि अगर ये भूस्खलन भारत में होता तो क्या होता? क्या हम इतनी धीमी प्रतिक्रिया देते? क्या हमारी सरकार इतनी धीमी होती? क्या हम अपने ही लोगों के लिए इतना देर तक इंतजार करते? इस तरह की सोच हमें बदलनी होगी।