पश्चिम बंगाल में सोमवार को रंगापानी स्टेशन के पास एक भीषण ट्रेन हादसा हुआ। यह हादसा तब हुआ जब एक मालगाड़ी ने सिग्नल को अनदेखा कर दिया और सीलदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस की पिछली पार्सल कोच से टकरा गई। इस दुर्घटना में कम से कम पांच लोगों की जान चली गई जबकि करीब 30 अन्य घायल हो गए हैं।
सुबह के समय यह हादसा हुआ, जब मालगाड़ी ने रेल सिग्नल को पार कर दिया, जिससे कंचनजंगा एक्सप्रेस की पिछली पार्सल कोच बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। मृतकों में मालगाड़ी के ड्राइवर और सहायक ड्राइवर के साथ कंचनजंगा एक्सप्रेस के गार्ड भी शामिल हैं।
प्रारंभिक जांच में यह पाया गया है कि दुर्घटना का मुख्य कारण मानव गलती हो सकती है, विशेष रूप से सिग्नल की अनदेखी। रेलवे बोर्ड की चेयरमैन एवं सीईओ जय वर्मा सिन्हा ने इस घटना के बाद पश्चिम बंगाल में कवच सुरक्षा प्रणाली को व्यापक रूप से लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
घटना स्थल पर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और मंडल रेल अधिकारियों की टीम द्वारा बचाव कार्य चलाए जा रहे हैं। इस काम में 15 एंबुलेंस और चिकित्सा उपकरण भी लगाए गए हैं। बचाव कार्यों के दौरान घायलों को चिकित्सा सहायता प्रदान की जा रही है और उन्हें नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव स्थिति पर निकट से निगरानी कर रहे हैं और स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तुरंत आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी एक युद्धस्तरीय कार्रवाई की शुरुआत की है। उन्होंने अधिकारियों, डॉक्टरों, एंबुलेंस, और आपदा teams को स्थल पर भेजा है ताकि जल्द से जल्द राहत और बचाव कार्य को पूरा किया जा सके।
हादसे के बाद स्थानीय लोग भी मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य में जुट गए। कई लोग अपने जानमाल की परवाह किए बिना घायल यात्रियों की मदद कर रहे थे। घायलों को स्थानांतरित करने के लिए स्थानीय वाहनों का उपयोग किया गया और कई ने अपने घरों से पानी और भोजन भी प्रदान किया।
इस दुर्भाग्यपूर्ण ट्रेन हादसे के बाद, रेलवे अधिकारियों ने भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार किया है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है कवच सुरक्षा प्रणाली का व्यापक और प्रभावी उपयोग जो इस तरह की घटनाओं को रोक सकती है। साथ ही, कर्मचारी प्रशिक्षण और सिग्नल प्रणाली को और अधिक आधुनिक बनाने के प्रस्ताव भी दिए गए हैं।
स्थानीय अस्पतालों में घायल यात्रियों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्थाएँ की गई हैं। हर संभव चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, और कई डॉक्टर और नर्स सेवा में जुटे हुए हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राज्य और केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग भी मदद कर रहे हैं।
यह हादसा एक चेतावनी की तरह है कि हमें रेलवे सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए। रेलवे प्रबंधन को सिग्नल प्रणाली की चूक को गंभीरता से लेना चाहिए और यात्रियों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। यह घटना याद दिलाती है कि हमें तकनीकी प्रगति के साथ-साथ मानवीय संसाधनों का भी ध्यान रखना है।
9 टिप्पणि
Ankit Gupta7210
18 जून, 2024ये रेलवे की बेकारी है। हर साल कुछ न कुछ होता है। सिग्नल तो खराब है ना फिर भी कोई अपडेट नहीं कर रहा। अब तक कवच सिस्टम नहीं लगाया तो अब तक कितने लोग मर चुके हैं?
Drasti Patel
19 जून, 2024इस प्रकार की दुर्घटनाओं के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है। रेलवे की अक्षमता राष्ट्रीय अपमान है। हमारे नागरिकों की जान उनकी लापरवाही के बदले में बर्बाद हो रही है।
Shraddha Dalal
20 जून, 2024इस घटना के अंतर्गत एक गहरी टेक्नोलॉजिकल-सामाजिक असंगति सामने आती है। हम डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन ऑपरेशनल गवर्नेंस अभी भी फील्ड-बेस्ड एंथ्रोपोलॉजिकल फेलियर के चक्र में फंसा हुआ है। कवच सिस्टम केवल टेक्निकल सॉल्यूशन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक परिवर्तन का भी प्रतीक है।
Jasvir Singh
21 जून, 2024मैंने देखा कि जिन लोगों ने बचाव में मदद की उनमें से कई ने अपने घर से पानी और भोजन लाया। ये लोग ही असली भारत हैं। रेलवे के बारे में बहुत बात होती है लेकिन इन आम लोगों की बात कोई नहीं करता।
Yash FC
21 जून, 2024इस तरह के हादसे दिल तोड़ देते हैं। लेकिन अगर हम इसे एक चेतावनी के रूप में लें तो ये भविष्य के लिए एक अवसर बन सकता है। रेलवे को अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा।
sandeep anu
22 जून, 2024अरे भाई ये तो बहुत बड़ी बात हो गई। पांच लोग मरे और अब सब बहस कर रहे हैं। ये दुनिया है या नाटक का मंच? बस एक बार आंख बंद कर लो और अपने घर जाओ।
Shreya Ghimire
22 जून, 2024ये सब एक बड़ा षड्यंत्र है। रेलवे ने जानबूझकर सिग्नल खराब किया है ताकि लोग डर जाएं और विमान या कार में यात्रा करें। तब निजी कंपनियां लाभ उठाएंगी। ये सब राष्ट्रीय रेलवे को नष्ट करने की योजना का हिस्सा है। जय वर्मा सिंहा के नाम के पीछे भी कुछ छिपा है।
Prasanna Pattankar
23 जून, 2024ओहो... फिर से सिग्नल नहीं देखा... और फिर से मौत... क्या ये रेलवे है या बाबा भोलेनाथ का खेल? आपकी रेलवे की ट्रेनें इतनी धीमी हैं कि लोग अपने अंतिम सांस तक बच जाते हैं... लेकिन फिर भी, आपकी बुद्धि उनसे भी धीमी है।
mahak bansal
24 जून, 2024कवच सिस्टम लगाने की बात हो रही है लेकिन इसके लिए जरूरी है कि ड्राइवरों को अच्छी तरह प्रशिक्षित किया जाए। तकनीक अच्छी है लेकिन इंसान नहीं तो काम नहीं चलेगा।