14 अगस्त की तारीख देश की सामूहिक यादों में दर्द की रात बन चुकी है। इसी दिन 1947 के विभाजन ने करोड़ों जिंदगियां बदल दी थीं। पार्टिशन हॉरर डे यानी विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर भारतीय जनता पार्टी ने देशभर में खास कार्यक्रम किए। पार्टी कार्यालयों से लेकर जिला मुख्यालयों तक, हर कहीं न सिर्फ मौन जुलूस निकाले गए, बल्कि लोगों को उस दौर की सच्चाई से रूबरू कराने के लिए सेमिनार भी आयोजित किए गए।
इन आयोजनों का विचार सिर्फ एक दिवस के लिए नहीं, बल्कि उसका मकसद है कि नया भारत अपनी जड़ों को न भूले। पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कहा— यह दिवस केवल 76 साल पुराना इतिहास नहीं, बल्कि एक ऐसा व़क्त है जिससे आज के भारत की सोच और ताकत बनी है।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस दिन मौन जुलूस निकाल कर उन लाखों लोगों को श्रद्धांजलि दी, जो विभाजन के दौरान बिछड़ गए या जिनकी जानें गईं। पार्टी कार्यालयों में हुए सेमिनार में इतिहासकार और विभाजन झेल चुके लोगों के परिजनों ने भी भाग लिया। उनकी बातों में न सिर्फ दर्द, बल्कि समाज को सीख देने वाली बातें भी थीं।
ऐसे ही एक आयोजन में, वरिष्ठ नेता ने कहा— विभाजन से मिली तकलीफों को भुला पाना नामुमकिन है। मगर नई पीढ़ी को जानना चाहिए कि वह दौर लाखों परिवारों के लिए कितनी बड़ी आपदा बनकर आया था। इतिहास की किताबों में जैसी इबारतें लिखी हैं, वे असल में लोगों की चीखों और असहायता की सिर्फ थोड़ी सी झलक देती हैं।
भाजपा के इन आयोजनों के केंद्र में एक ही बात रही— देशवासी अपनी विरासत, अपने अतीत और उसमें छुपे दर्द को ना भूलें। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि जब तक हम इतिहास की सच्चाई से आंखें नहीं मिलाएंगे, तब तक मजबूत और जागरूक राष्ट्र बनना मुश्किल है।
हाथरस समेत उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में भी ऐसे कार्यक्रम हुए, जिनका मुख्य उद्देश्य था— देशभर के नागरिकों को एक सूत्र में पिरोना और उन भूले-बिसरे किस्सों को लोगों तक पहुंचाना, जिनसे आज भी लाखों परिवार सीधे-सीधे जुड़े हैं। पार्टी का मानना है कि इन पहल से नई पीढ़ी को अपना अतीत समझने में मदद मिलेगी और सामाजिक एकजुटता को मजबूती मिलेगी।
20 टिप्पणि
udit kumawat
29 मई, 2025ये सब बस चुनावी नाटक है। विभाजन की त्रासदी को याद करने के बजाय, आज के दिन भी लाखों लोग अपनी जमीन, अपने घर खो रहे हैं। और किसी ने इसकी बात कभी नहीं की।
Ankit Gupta7210
30 मई, 2025ये भाजपा का असली इतिहास पढ़ने का तरीका है जो कभी किसी ने नहीं दिखाया था। अगर आपको लगता है कि ये सिर्फ नाटक है तो आपको इतिहास की किताबें खोलनी चाहिए। आपको पता है कि गांधी ने क्या कहा था विभाजन के बारे में? नहीं ना? तो बस चुप रहो।
Yash FC
30 मई, 2025इतिहास को याद रखना जरूरी है, लेकिन उसे भविष्य के लिए नहीं, बल्कि अतीत के लिए नहीं। विभाजन ने लोगों को अलग किया, लेकिन आज हमें उसी दर्द को समझकर एकता की ओर बढ़ना चाहिए। नहीं तो हम भी उन लोगों की तरह बन जाएंगे जिन्होंने ये त्रासदी बनाई।
sandeep anu
30 मई, 2025ये दिन मेरे दादा के लिए बहुत कुछ था। वो कभी नहीं बोले लेकिन उनकी आंखों में आंसू थे। आज जब मैंने ये मौन जुलूस देखा, तो मैंने समझा कि इतिहास कभी मरता नहीं। ये बस एक शुरुआत है। जीते रहो, सीखते रहो।
Shreya Ghimire
31 मई, 2025क्या आप जानते हैं कि ये सब किसके लिए है? ये सब अमेरिका और ब्रिटेन के लिए है। वो चाहते हैं कि हम अपने आप को तोड़ते रहें। विभाजन के बाद जो बातें बताई गईं, वो सब फेक हैं। असली वजह ये थी कि ब्रिटिश ने हमें अलग-अलग कर दिया ताकि हम एक साथ न हो सकें। आज भी वही चल रहा है।
Prasanna Pattankar
31 मई, 2025ओह, तो अब भाजपा इतिहास की शिक्षा देने लगी है? पहले तो वो लोगों को बताते थे कि विभाजन का जिम्मेदार नेहरू है। अब वो बताते हैं कि ये दर्द हमें एकता की ओर ले जाएगा? क्या ये नया धर्म है? बस एक बार अपने आप को देख लो।
Bhupender Gour
2 जून, 2025मौन जुलूस अच्छा है पर अगर आज भी किसी को अपनी जमीन नहीं मिल रही तो ये सब बस नाटक है। विभाजन के बाद भी लोगों को लूटा गया और आज भी लूट रहे हैं। क्या ये सब याद करने के बाद भी बदलेगा? नहीं।
sri yadav
3 जून, 2025इतिहास को याद करना तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन इसे अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना बहुत बुरा है। ये जो सेमिनार हो रहे हैं, वो वास्तविक बातें नहीं बताते। वो बस एक तस्वीर बनाते हैं जिसमें सब अच्छे लगें।
Pushpendra Tripathi
4 जून, 2025आप लोग इतिहास को याद करने के लिए इतना शोर मचा रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज के दिन कितने लोग अपने घर खो रहे हैं? जब तक आप अपने अंदर के भेदभाव को नहीं दूर करेंगे, तब तक ये सब बस एक नाटक है।
Indra Mi'Raj
5 जून, 2025मैंने अपनी दादी को बताया कि आज विभाजन का दिन है। वो बोलीं- बेटा, ये दर्द नहीं भूलना चाहिए, लेकिन इसे दुश्मन बनाना भी नहीं चाहिए। ये दर्द हमारी शक्ति बने, न कि बदला लेने का जरिया।
Harsh Malpani
5 जून, 2025अच्छा हुआ कि कोई याद दिला रहा है। मैंने कभी नहीं सुना था इतिहास के बारे में। अब जानने की कोशिश कर रहा हूँ। बस एक बात- अगर ये दिन याद करने का है तो फिर आज के दिन भी लोगों को याद करो।
INDRA SOCIAL TECH
7 जून, 2025विभाजन ने न सिर्फ भूमि को बांटा, बल्कि दिलों को भी। आज जब हम इसे याद करते हैं, तो हमें ये समझना होगा कि दर्द का अंत नहीं होता, बल्कि उसे समझने का रास्ता बनता है।
Prabhat Tiwari
8 जून, 2025ये सब बस एक नाटक है। आप लोग भाजपा के लिए बहुत बड़े नाटक बना रहे हैं। लेकिन जब तक आप लोगों को बताएंगे कि विभाजन के बाद भी कितने लोग अपनी जमीन खो रहे हैं, तब तक ये सब बस एक फिल्म है। और ये फिल्म बनाने वाले अपनी जमीन भी खो चुके हैं।
Palak Agarwal
9 जून, 2025मैंने इस दिन के बारे में पहली बार सुना। अब मैं चाहता हूँ कि इसे अपने स्कूल में भी सिखाया जाए। बच्चों को ये जानना चाहिए कि एक दिन ऐसा भी था जब लोग अपने घर छोड़कर चले गए।
Paras Chauhan
11 जून, 2025इतिहास को याद रखना बहुत जरूरी है। लेकिन उसे दर्द के रूप में नहीं, बल्कि जागरूकता के रूप में देखना चाहिए। जब हम अपने अतीत को समझते हैं, तो हम भविष्य को बेहतर बना सकते हैं।
Jinit Parekh
11 जून, 2025ये दिन भाजपा के लिए नहीं, बल्कि हर भारतीय के लिए है। आज के दिन जब आप अपने घर में बैठे हैं, तो सोचिए कि आपके दादा-दादी किस तरह जी रहे थे। इसी दर्द ने आज का भारत बनाया है।
mahak bansal
12 जून, 2025मैंने अपने गांव में एक बूढ़े आदमी को बताया कि आज विभाजन का दिन है। वो बोले- बेटा, ये दिन हमारे लिए नहीं, बल्कि आपके लिए है। आपको ये याद रखना है कि जब तक आप अपने दिल में भेदभाव लिए हुए हैं, तब तक ये दर्द दोहराया जाएगा।
Jasvir Singh
14 जून, 2025मैंने इस दिन अपने दादा के साथ एक तस्वीर देखी। उनके घर की तस्वीर। वो बोले- ये तस्वीर अब नहीं है, लेकिन यादें हैं। आज भी लोग अपने घर खो रहे हैं। लेकिन अब वो घर नहीं, बल्कि अपनी पहचान खो रहे हैं।
Drasti Patel
14 जून, 2025विभाजन की त्रासदी को याद करने के लिए भाजपा के इस प्रयास की सराहना की जानी चाहिए। यह एक ऐसा कदम है जो देश की आत्मा को जगाता है। इतिहास को नकारना या उसे राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग करना दोनों ही अपराध हैं।
Shraddha Dalal
16 जून, 2025विभाजन के दौरान जो लोग अपनी भाषा, अपनी संस्कृति खो गए, उनकी कहानियां आज भी बहुत कम लोगों को पता हैं। ये सेमिनार उन लोगों के लिए एक आवाज बन रहे हैं। और यही तो असली इतिहास है- जो लोग बोले नहीं, उनकी आवाज़ सुनना।