रतन टाटा की ₹10,000 करोड़ की वसीयत ने उन सभी को चौंका दिया है, जो उनके जीवन की जटिलताओं और मानवीय कर्तव्यों को गहराई से समझना चाहते थे। इस वसीयत में सबसे बड़ा हिस्सा रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) के लिए निर्धारित किया गया है, जो कि 2022 में स्थापित किया गया था।
टाटा के परिवार के सदस्य, जैसे उनके भाई जिमी टाटा और सौतेली बहनें शीरीन और डिएना जीजाभाई, वफादार हाउसहोल्ड स्टाफ जैसे बटलर सुब्बैया और रसोइया राजन शॉ, जो उनके साथ पिछले तीन दशकों से जुड़े हुए हैं, भी इस वसीयत के लाभार्थी होंगे।
रतन टाटा ने अपने कार्यकारी सहायक शांतनु नायडू के प्रति विशेष उदारता दिखाई। नायडू को उनकी शिक्षा ऋण से मुक्त किया गया है, और इसके अलावा, टाटा ने अपनी हिस्सेदारी नायडू की कंपनी 'गुडफेलोज' में हस्तांतरित कर दी है, जो कि वृद्ध व्यक्तियों के लिए एक संगत सेवा प्रदान करने वाली स्टार्टअप है।
रतन टाटा ने अपने जर्मन शेफर्ड कुत्ते 'टिटो' की आजीवन देखभाल की जिम्मेदारी भी रसोइया राजन शॉ को सौंपी है।
इनके साथ ही, टाटा के पास Tata Sons में 0.83% की हिस्सेदारी (जिसकी कीमत लगभग ₹8,000 करोड़ है), और बैंक के डिपॉजिट जो ₹350 करोड़ से अधिक है, वाली संपत्तियाँ भी शामिल हैं। उनके कोलाबा के घर और अलीबाग के बीच हाउस जैसी प्रॉपर्टीज का अभी निष्कर्ष नहीं निकला है।
यह वसीयत अब बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रोबेट का इंतजार कर रही है, और उम्मीद है कि टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन इस फाउंडेशन का नेतृत्व करेंगे।
15 टिप्पणि
udit kumawat
20 मार्च, 2025ये सब क्या बकवास है? रतन टाटा ने अपना पैसा कुत्ते के लिए छोड़ दिया? और ये शांतनु नायडू कौन है? असली विरासत तो टाटा संस की है, न कि किसी स्टार्टअप की।
Shreya Ghimire
21 मार्च, 2025इस वसीयत में कुछ गहरा छिपा हुआ है... रतन टाटा ने जानबूझकर अपने परिवार को नजरअंदाज किया है, क्योंकि वो जानते थे कि टाटा संस के अंदर के लोग उनकी विचारधारा को बर्बाद कर देंगे। शांतनु नायडू को जो हिस्सा मिला है, वो एक बड़ी चाल है-क्योंकि वो अभी तक किसी ने नहीं जाना कि उसकी कंपनी 'गुडफेलोज' के पीछे कौन है। शायद कोई विदेशी निवेशक छिपा हुआ है।
Prasanna Pattankar
23 मार्च, 2025अरे भाई, ये वसीयत देखकर लगता है कि रतन टाटा ने अपनी जिंदगी का एक अंतिम नाटक खेल दिया... जिसने भी उनके साथ तीन दशक बिताए, उन्हें धन दिया। लेकिन जो उनके लिए काम करते रहे, वो अब भी नौकरी पर हैं। तो क्या ये न्याय है? ये तो बस एक शो है, जिसमें वो अपने आप को 'मानवीय' बनाना चाहते हैं।
Bhupender Gour
25 मार्च, 2025टिटो को राजन शॉ को सौंप दिया? ये तो बहुत अच्छा हुa!!! बस अब देखो कि कौन टिटो को गुड़िया बनाकर फोटो डालता है इंस्टाग्राम पर 😎
sri yadav
26 मार्च, 2025क्या आपने कभी सोचा है कि रतन टाटा के लिए ये सब केवल एक फैशनेबल अंतिम अभिनय था? जब आपके पास ₹10,000 करोड़ हों, तो आप अपने बटलर को एक लाख दे सकते हैं और उसे 'मानवीय' कह सकते हैं। लेकिन जो लोग उनके बिना जिंदा नहीं रह सकते, उन्हें तो आपने नहीं देखा।
Pushpendra Tripathi
27 मार्च, 2025ये सब बहुत अच्छा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि टाटा संस के बोर्ड पर कितने लोग हैं जिन्होंने रतन टाटा के साथ एक दिन भी काम नहीं किया? और अब वो इस फाउंडेशन का नेतृत्व करेंगे? ये तो एक नियंत्रण का खेल है।
Indra Mi'Raj
28 मार्च, 2025मुझे लगता है रतन टाटा ने इस वसीयत के जरिए एक संदेश दिया है-कि पैसा नहीं, लोग हैं जो असली विरासत हैं। बटलर, रसोइया, कुत्ता... ये सब उनकी जिंदगी के हिस्से थे। और शायद वो चाहते थे कि उनकी यादें उनके साथ रहें। ये बहुत दिल छू लेने वाला है।
Harsh Malpani
28 मार्च, 2025टिटो को राजन शॉ को दे दिया? वाह यार ये तो बहुत गेम चेंजर है! अब टिटो की डायट और गुड़िया वाले वीडियो बनेंगे 😂
INDRA SOCIAL TECH
29 मार्च, 2025रतन टाटा ने अपनी वसीयत में लोगों को याद रखा। ये एक ऐसा व्यक्ति है जिसने अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके दूसरों को सम्मान दिया। ये असली नेतृत्व है।
Prabhat Tiwari
30 मार्च, 2025ये सब बहुत अच्छा है... लेकिन क्या आपने देखा कि ये वसीयत बनाने के बाद टाटा संस के शेयर बाजार में गिर गए? ये सब एक विदेशी निवेशकों की साजिश है। रतन टाटा को गुमराह किया गया। उन्होंने अपनी विरासत देश के खिलाफ दे दी।
Palak Agarwal
30 मार्च, 2025इस वसीयत का सबसे खूबसूरत हिस्सा ये है कि रतन टाटा ने अपने लोगों को अपने आखिरी दिनों में याद किया। बटलर, रसोइया, कुत्ता... ये सब उनकी दिनचर्या का हिस्सा थे। ये बस एक अमीर आदमी की वसीयत नहीं, ये एक इंसान की यादगार है।
Paras Chauhan
31 मार्च, 2025टिटो ❤️ अब वो भी टाटा की विरासत का हिस्सा है... इस दुनिया में जब तक टिटो जिंदा रहेगा, रतन टाटा की याद जिंदा रहेगी।
Jinit Parekh
31 मार्च, 2025रतन टाटा के लिए विदेशी स्टार्टअप को हिस्सा देना भारत के लिए शर्म की बात है। हमारे अपने देश के लोगों को नहीं, बल्कि एक नायडू को दे दिया? ये तो राष्ट्रविरोधी है।
Ankit Gupta7210
1 अप्रैल, 2025ये सब बकवास है। अगर रतन टाटा के पास ₹10,000 करोड़ थे, तो वो अपने बेटे को देते तो बेहतर होता। अब ये सब बटलर और कुत्ते के लिए? बस एक नाटक है।
Yash FC
1 अप्रैल, 2025हम सब अपने जीवन में कितने लोगों को भूल जाते हैं... रतन टाटा ने अपने अंतिम दिनों में उन्हें याद किया। ये न तो धन का सवाल है, न ही सामाजिक रिश्तों का। ये तो इंसानियत का सवाल है।