जब इंडिया मेटेरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने मंगलवार, 30 सितम्बर 2025 को पीला सावधानिक हल्का‑से‑मध्यम बारिश के साथ बिजली‑तूफ़ान और 30‑50 किमी/घंटा की तेज़ हवाओं की चेतावनी जारी की, तब दिल्ली‑एनसीआर में अचानक काली घटा घिर गई।
अगस्त‑सितम्बर की तीन‑हफ्ते की तपिश के बाद, दुपहर के बीच में गर्जनभरी गड़गड़ाहट और लहराती बूंदी ने निष्कर्ष निकाला—भारी बारिश ने क्रमिक रूप से नवरात्रि के मौसमी माहौल को डुबो दिया।
इंडिया मेटेरोलॉजिकल डिपार्टमेंट के अनुसार, अरबिया सागर के ऊपर कम‑दाब के क्षेत्र ने पश्चिमी हवाओं को मोड़ दिया, जिससे नमी‑भरी वायुमंडलीय लहरें दिल्ली तक पहुंची। 30 सितम्बर को तापमान 25°C से 35°C के बीच रहा, जबकि दिल्ली में सुबह‑शाम 57%‑76% की सापेक्षिक आर्द्रता दर्ज हुई।
पिछले दो दिनों में, 28 सितम्बर को दिल्ली ने 38.1°C की चरम तापमान दर्ज की—जैसे‑जैसे दो साल में सबसे ऊपर, और 29 सितम्बर को 37.5°C पर स्थित रहा। रात के समय न्यूनतम तापमान 28.2°C से 28.7°C तक रहा, जो सामान्य से 5‑6°C अधिक था।
इन आँकड़ों को सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने पुष्टि की; सुबह 8 बजे ए़क्यूआई 114 के साथ हवा का स्तर ‘मध्यम’ श्रेणी में था।
शीर्षस्थ बिंदु पर, दुर्गा अष्टमीदिल्ली‑एनसीआर पर जलाचलित जलस्रोतों ने धार्मिक समारोहों को बाधित कर दिया। कई मंदिरों ने प्रार्थना‑सत्र को बरामद करने के लिए वैकल्पिक इनडोर स्थानों में स्थानांतरित किया।
सामाजिक मीडिया पर, लोगों ने "बारिश के कारण धूप नहीं मिली, लेकिन जलराशि से आराम मिला" जैसे मिश्रित भावनाएँ व्यक्त कीं। कुछ परिवारों ने नाचा‑गान को तैरते हुए मंच पर बदल दिया, जबकि कुछ ने जल-प्रदूषित रास्तों से बचने की कोशिश की।
डेल्ही मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने तुरंत अपना संचालन नियंत्रण केंद्र सक्रिय किया, सुरक्षित यात्रा के लिए ट्रेन की गति को घटाया और स्टेशन पर जल निकासी के लिए अतिरिक्त पंप तैनात किए।
नयी दिल्ली में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग यूनिट ने बताया कि बारिश से औसत PM2.5 स्तर में 15‑20 µg/m³ की कमी आई। फिर भी, जलभराव वाले क्षेत्रों में ट्रैफ़िक जाम बना रहा।
नोएडा में, नगरपालिका ने जल निकासी के लिए तत्काल उपायों की घोषणा की, जबकि गुरुग्राम के मौंटेफायर डिपार्टमेंट ने जल-प्रभावित क्षेत्रों में फायर सेवाओं को अतिरिक्त बल तैनात किया।
इंडिया मेटेरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने अगले दो दिनों — 1 और 2 अक्टूबर — के लिए भी हल्की‑से‑मध्यम बारिश की भविष्यवाणी की है, जिसमें तापमान 26°C से 32°C के बीच रहेगा।
यदि बारिश जारी रही, तो कृषि क्षेत्र में जल‑संचयन बेहतर हो सकता है, लेकिन शहरी बुनियादी ढांचे पर दबाव बढ़ेगा। विशेष रूप से, छोटे-छोटे निचले इलाकों में जल‑जमाव की संभावना बनी हुई है, जिससे स्वास्थ्य विभाग को जल‑जनित रोगों (जैसे डेंगू) की सतर्कता बढ़ानी पड़ सकती है।
वास्तव में, पिछले साल के समान समय पर हुई बारिश ने दिल्ली के शहरी जल‑प्रबंधन प्रणाली को बड़े पैमाने पर परीक्षण किया था, और कई जल‑नालों को अपग्रेड करने का प्रस्ताव तब तैयार किया गया था।
अक्टूबर‑नवंबर के दौरान, 2019‑2020 में भी एक समान कम‑दाब प्रणाली ने दिल्ली में अचानक बरसात लाई थी, जिसके दौरान औसत तापमान 33°C से घटकर 27°C तक गिर गया था। उस समय, नगर निगम ने 750 मीटर लंबी बाढ़‑रोधी दीवारें स्थापित कर दी थीं, जो इस बार भी उपयोग में लाई जा रही हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अब ऐसे अचानक बारिश‑तूफ़ान अधिक बार हो सकते हैं, इसलिए दीर्घकालिक योजना बनाना आवश्यक है।
कई सार्वजनिक मंच बंद हो गए, लेकिन कई मंदिरों ने आंतरिक स्थानों में पूजा‑समारोह जगहांतरित कर ली। आम तौर पर, पारंपरिक चलते‑फिरते नृत्य‑गीतों को छोटे‑छोटे इनडोर प्रोग्राम में बदला गया, जिससे दर्शकों की संख्या घट गई लेकिन सुरक्षा बनी रही।
डेल्ही मेट्रो ने गति कम की, अतिरिक्त पंप लगाए, और ट्रैफ़िक पुलिस ने जल‑जमाव वाले क्षेत्रों में वैकल्पिक मार्ग बनाए। साथ ही, CPB ने वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग जारी रखी और जल‑जनित रोगों की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी जारी की।
इंडिया मेटेरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने बताया कि 1‑2 अक्टूबर तक हल्की‑से‑मध्यम बारिश जारी रहेगी, तापमान 26°C‑32°C के बीच रहेगा, और हवा की गति 20‑35 किमी/घंटा होगी।
विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों का मानना है कि वार्षिक तापमान में वृद्धि और समुद्री सतह के गर्म होने से कम‑दाब क्षेत्रों की आवृत्ति बढ़ रही है, जिससे अचानक बरसात और तूफ़ान अधिक हो रहे हैं। यह बदलाव जलवायु परिवर्तन के लक्षणों में से एक माना जाता है।
बारिश ने पॉल्यूटेंट कणों को जमीन पर गिरा दिया, जिससे ए़क्यूआई 114 से घटकर 95 तक गिर गया, अर्थात् ‘संतोषजनक’ स्तर तक पहुँच गया। लेकिन जल‑जमाव वाले क्षेत्रों में अस्थायी रूप से धुंध बढ़ी।
14 टिप्पणि
Balaji Srinivasan
30 सितंबर, 2025बारिश की वजह से ट्रैफ़िक जाम तो बन ही गया, लेकिन ये ठंडी हवा वाकई में बहुत राहत देती है। दिल्ली में ए़क्यूआई स्तर गिरना अच्छा संकेत है, खासकर धूल वाले इलाकों के लिए। मैंने देखा कि मेट्रो की गति कम कर दी गई, इससे यात्रियों को थोड़ा इंतजार तो करना पड़ेगा। फिर भी, जल निकासी के लिए अतिरिक्त पंप लगा कर प्रशासन ने सही कदम उठाया। पूरे शहर में निचले इलाकों में पानी भरने की समस्या अभी भी बनी हुई है, इसलिए सावधान रहना ज़रूरी है।
Hariprasath P
1 अक्तूबर, 2025इ बर्ज़ी मैन एकदम फना हो रया हैं।
Vibhor Jain
1 अक्तूबर, 2025अरे वाह, ट्रैफ़िक जाम को 'आराम' कहने वाले को देखकर लगता है कि बरसात ने सबको जल्दी सोने का बहाना दे दिया।
Swetha Brungi
2 अक्तूबर, 2025दुर्गा अष्टमी के दौरान इतनी तेज़ बारिश का होना वास्तव में कई सामाजिक पहलुओं को उजागर करता है।
पहले तो लोग अपने घरों में बंद होने से डरते थे, लेकिन बाद में उन्होंने अल्पसंख्यकों के सहयोग से सामुदायिक आश्रयों की व्यवस्था की।
इन आश्रयों में वृद्धों और बच्चों को गर्म पेय, तौलिए और छोटी खाने की चीज़ें दी गईं, जिससे उनका मनोबल बना रहा।
बारिश के दौरान एकत्रित जल को कई टैंक में संग्रहित किया गया, जिससे अगले कुछ दिनों में पानी की कमी का सामना नहीं करना पड़ा।
स्थानीय NGOs ने तुरंत स्वयंसेवकों को जुटाया और बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्य शुरू किया।
सड़क पर फँसे वाहन के दुर्दशा को देखकर कुछ लोग खुद ही पुल बनाकर मदद करने लगे।
मेट्रो रेल ने भी गति घटाने के साथ‑साथ कुछ स्टेशनों पर सीढ़ियों की जगह एलीवेटर स्थापित किया, जिससे बुजुर्गों को आसानी रही।
वायु गुणवत्ता में गिरावट की उलट, बारिश ने PM2.5 को गिरा दिया, जिससे श्वसन रोगियों को अस्थायी राहत मिली।
डॉक्टरों ने कहा कि बारिश के बाद अचानक धुंध बढ़ सकती है, इसलिए बाहर निकलते समय मास्क पहनना उचित रहेगा।
कई लोग सोशल मीडिया पर कह रहे हैं कि यह बारिश धरती को साफ़ कर रही है, परंतु जल‑जनित रोगों की संभावना भी बढ़ा रही है।
डेंगू और मलेरिया के मामले में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है, क्योंकि मक्खी के breeding sites बनते हैं।
अगले दो दिनों में अगर हल्की‑से‑मध्यम बारिश जारी रही, तो कृषि के लिए जल‑संचयन लाभदायक रहेगा।
परंतु शहरी बुनियादी ढाँचे पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा, इसलिए नगर निगम को निचले इलाकों में नालों की सफ़ाई तेज़ करनी चाहिए।
विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसे अचानक बारिश‑तूफ़ान अधिक बार हो सकते हैं, इसलिए दीर्घकालिक योजना बनाना अनिवार्य है।
समग्र रूप से, इस वर्ष की दुर्गा अष्टमी हम सभी को एकजुट होने, सहयोग करने और पर्यावरणीय चुनौतियों के प्रति सजग रहने का अवसर प्रदान कर रही है।
Govind Kumar
3 अक्तूबर, 2025इंडिया मेटेरोलॉजिकल डिपार्टमेंट द्वारा जारी पीला अलर्ट के बाद, प्रशासन ने कई कदम उठाए हैं। विशेष रूप से, जल निकासी प्रणाली को सुदृढ़ करने हेतु अतिरिक्त पम्प लगाए गए हैं। मेट्रो की गति को कम करके यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। स्वास्थ्य विभाग ने जलजनित रोगों की रोकथाम के लिए सतर्कता जारी रखी है। इस प्रकार, बहुआयामी प्रयासों से मौसमी आपदा का प्रभाव न्यूनतम किया जा रहा है।
vikash kumar
3 अक्तूबर, 2025बारिश के कारण ए़क्यूआई स्तर में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। इस सुधार का श्रेय वायुमंडलीय नमी के कारण हुए शुद्धिकरण को दिया जा सकता है।
Anurag Narayan Rai
4 अक्तूबर, 2025स्वेता द्वारा लिखी विस्तृत विश्लेषण ने कई बिंदु स्पष्ट कर दिए हैं, खासकर बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में समुदायिक सहयोग के महत्व को। मैं यह जोड़ना चाहूँगा कि जल‑संचयन के लिए टैंकरों की व्यवस्था पहले ही की जा रही है, जिससे भविष्य में पानी की कमी नहीं होगी। साथ ही, स्थानीय स्कूलों ने बच्चों को जल‑सुरक्षा के बारे में शिक्षित करना शुरू कर दिया है, जिससे जागरूकता बढ़ेगी। हमने देखा कि कुछ क्षेत्रों में जल‑बिजली संयंत्रों ने अतिरिक्त ऊर्जा उत्पादन के लिए हाइड्रो पावर का उपयोग किया। यह भी उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया कैंपेन ने स्वेच्छा से मदद की पेशकश करने वाले लोगों को एकत्रित किया। अंत में, हम सभी को यह याद रखना चाहिए कि ऐसी प्राकृतिक घटनाएँ हमें एक साथ काम करने की प्रेरणा देती हैं।
Sandhya Mohan
4 अक्तूबर, 2025बारिश की बूंदें जैसे प्रकृति का संगीत सुनाती हैं, जो हमें शांति का अनुभव कराती हैं। इस मौसम में दिमाग को साफ़ रखने के लिए थोड़ी देर टहलना बहुत फायदेमंद है। सभी को सुरक्षित रहने की शुभकामनाएँ।
Prakash Dwivedi
4 अक्तूबर, 2025डेल्ही में जल‑जनित रोगों की संभावना बढ़ने से स्वास्थ्य विभाग ने सावधानीपूर्ण उपायों की सलाह दी है। विशेष रूप से, घर के भीतर सफाई बनाए रखना आवश्यक है। साथ ही, किफायती जल‑शोधन यंत्रों का उपयोग करने से संक्रमण कम हो सकता है। इसलिए, व्यक्तिगत स्तर पर सतर्क रहना जरूरी है।
Rajbir Singh
5 अक्तूबर, 2025बारिश में चलना मुश्किल हो सकता है, लेकिन सावधानी बरतें। थोड़ी देर ठहरें और सुरक्षित रहें।
Rashi Jaiswal
5 अक्तूबर, 2025यार ये बारिश तो बिलकुल मस्त है, इतने सारा पानी में मज़ा आ गया! सबको खुश रहो और फुर्सत में म्यूजिक सुनते रहो।
Maneesh Rajput Thakur
6 अक्तूबर, 2025बारिश के पीछे कुछ बड़े साजिश हो सकती है, जो हमें लगातार सूखा नहीं देते। सरकारी एजेंसियों ने इस मौसम को नियंत्रित करने के लिए क्लाउड‑सीडिंग किया है, ऐसा कहा जाता है। इसलिए हमें इस पर सवाल उठाना चाहिए। उसी के साथ, डेटा की पारदर्शिता भी देखनी चाहिए। अंत में, जनता को सच्चाई जानने का अधिकार है।
ONE AGRI
6 अक्तूबर, 2025देश में बार-बार होने वाले प्राकृतिक आपदाओं को लेकर हमें अपनी आत्मनिर्भरता पर गर्व होना चाहिए। ऐसी परिस्थितियों में विदेशी मदद की जरूरत नहीं, बल्कि हमारे अपने लोगों की संगति पर्याप्त है। जल‑बाजार में विदेशी कंपनियों का दखल देना हमें कमजोर बनाता है, इसलिए हमें स्वदेशी पूरक उपकरणों को प्राथमिकता देनी चाहिए। साथ ही, स्थानीय स्तर पर स्वयंसेवकों की भूमिका को अपरिमित समझा जा रहा है, जो उल्लेखनीय है। अंत में, सभी नागरिकों को एकजुट होकर इस चुनौती का सामना करना चाहिए, ताकि हमारा भारत हमेशा सुरक्षित और समृद्ध बना रहे।
Himanshu Sanduja
6 अक्तूबर, 2025तुम्हारी बात में काफी सच्चाई है, हमें मिलकर काम करना चाहिए। स्थानीय पहल को समर्थन देकर हम इस बाढ़ को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं। सभी को सुरक्षित रहने की कामनाएँ।