बारिश ने जब मैच का रुख बदला, वेस्टइंडीज नतीजे को अपने पक्ष में करने के लिए पूरी तरह तैयार थी। इंग्लैंड की टीम ने भले ही चार नए खिलाड़ियों को डेब्यू करवा कर बदलाव की पहल की, मगर वेस्टइंडीज ने गुडकश मोटी की जबरदस्त गेंदबाजी और एविन लुइस की तेजतर्रार बल्लेबाजी से उन्हें कोई मौका नहीं दिया।
मैच में गुडकश मोटी सबसे बड़े खिलाड़ी साबित हुए। चार विकेट निकालकर उन्होंने इंग्लिश बल्लेबाजों की कमर ही तोड़ दी। कप्तान के तौर पर लियाम लिविंगस्टोन की सबसे बड़ी मुश्किल यही रही कि युवा खिलाड़ियों को मौके देना और जीत के बीच संतुलन बैठाना काफी मुश्किल होता है। सुरुआत में ही इंग्लिश खिलाड़ियों ने घबराहट दिखाई और वेस्टइंडीज ने इसका फायदा उठा लिया।
लक्ष्य का पीछा करते हुए एविन लुइस ने पावरप्ले में बॉलरों पर हमला बोला। उन्होंने छक्के-चौकों से दबाव बढ़ाया और दूसरे छोर पर विकेट गिरने का खतरा भी कम किया। बारिश के बाद, डकवर्थ-लुईस-स्टर्न कानून के हिसाब से मिले टारगेट को वेस्टइंडीज ने आराम से पा लिया।
इंग्लैंड ने इस मुकाबले में युवाओं पर भरोसा दिखाया, लेकिन अनुभव की कमी आखिर भारी पड़ गई। अंतरिम कोच मार्कस ट्रेस्कोथिक ने साफ कहा कि 50 ओवर के क्रिकेट में नई सोच लाने और खिलाड़ियों को ढलने के लिए समय चाहिए। वनडे फॉर्मेट में इंग्लैंड की रणनीति पर कई तरह के सवाल भी उठे हैं, खासकर तब जब टीम बदलते युग के साथ संघर्ष करती दिख रही है।
टी20 और वनडे सीरीज में कुछ व्यक्तिगत प्रदर्शन जरूर चमके। पहली टी20 में फिल सॉल्ट का 54 गेंदों में नाबाद 103 रन और दूसरी वनडे में शाई होप की सेंचुरी फैंस को याद रहेगी। बावजूद इसके टीम की समग्र रणनीति और अनुभव की कमी इंग्लैंड के लिए आने वाले समय में चिंता का सबब बन सकती है।
इंग्लैंड की टीम बदल रही है, लेकिन वेस्टइंडीज का अनुभव और घरेलू कंडीशन का फायदा उन्हें बार-बार मजबूत बना रहा है। एक तरफ युवा आदान-प्रदान की जद्दोजहद, दूसरी तरफ अनुभव और आक्रामकता के हुनर का प्रदर्शन—यही इस सीरीज की असली कहानी दिखती है।
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