पंजाब के समराला में लुधियाना के एक गांव में 10 जून 2025 को दिन का तापमान 46.1 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया — ये वो नंबर है जिसे यहां 2017 के बाद किसी ने नहीं छूआ था। लू की चिलचिलाती लहरों ने लोगों को घरों में कैद कर दिया, और दो लोगों की मौत गर्मी से ही हो गई। ये सिर्फ एक दिन की बात नहीं, बल्कि एक आपातकाल है — जिसमें 10 जिलों में हीट वेव अलर्ट जारी है, और अगले चार दिन भी यही तापमान बना रहने की उम्मीद है।
लुधियाना के समराला में 46.1 डिग्री का रिकॉर्ड तोड़ने के बाद भी, बठिंडा के कुछ इलाकों में तापमान 46.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। ये नंबर पंजाब के इतिहास में सबसे ऊंचा है — यहां तक कि अधिकारियों ने भी इसे अप्रत्याशित बताया। बठिंडा का औसत तापमान 45.6 डिग्री रहा, जो सामान्य से छह डिग्री ज्यादा है। चंडीगढ़ में 43.8 डिग्री, जो इस सीजन का सबसे गर्म दिन था। फाजिल्का में 32.3 डिग्री और अमृतसर में 29.1 डिग्री — ये अंतर भी बताता है कि गर्मी कितनी असमान रूप से बंटी है।
ये सिर्फ दिन का तापमान नहीं, रात का भी खतरनाक है। न्यूनतम तापमान जहां 24 डिग्री (होशियारपुर) तक गिरा, वहीं अमृतसर में 23.2 डिग्री और लुधियाना में 25.9 डिग्री रहा — ये सामान्य से दो डिग्री ऊपर है। जब रात भी गर्म रहे, तो शरीर को ठंडक का मौका नहीं मिलता। डॉक्टर्स बता रहे हैं कि इस तरह की लगातार गर्मी बुजुर्गों, बच्चों और बाहर काम करने वालों के लिए जानलेवा है।
गर्मी की वजह से तीन लोगों की मौत हो गई। दो में से एक की मौत एक 70 साल के आदमी की हुई, जो खेत में काम कर रहे थे। दूसरी मौत एक 45 साल के व्यक्ति की हुई, जिसे बाहर जाते हुए बेहोश पाया गया। तीसरी मौत का कारण अभी जांच में है, लेकिन इसकी ज्यादातर संभावना गर्मी से ही है। एक अमृतसर के निवासी ने बताया — "मेरे बेटे को दोपहर को स्कूल से लाया गया, जिसमें बुखार और डिहाइड्रेशन था। उसका बुखार 40 डिग्री तक चढ़ गया।"
स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में तत्काल तैयारी का आदेश दिया है। लुधियाना और बठिंडा में गर्मी से जुड़े मरीजों की संख्या 40% बढ़ गई है। लोग अब बर्फ के बैग्स, ठंडे तौलिए और बहुत पानी के लिए तैयार हैं। लेकिन अगर ये तापमान अगले दिन भी ऐसा ही रहा, तो ये सिर्फ शुरुआत है।
मौसम विभाग ने अगले चार दिनों के लिए पंजाब के 10 जिलों में हीट वेव अलर्ट जारी किया है। लू के लिए ऑरेंज अलर्ट भी जारी है — यानी हवा बहुत शुष्क है, नमी लगभग शून्य है। ये वो तरह की हवा है जो आपके शरीर का पानी खींच लेती है, बिना आपको पता चले।
वीरवार को कुछ जगहों पर बारिश ने थोड़ी राहत दी — रूपनगर में 32.6 डिग्री, अमृतसर में 22.8 मिमी की बारिश, बठिंडा में 9 मिमी। लेकिन ये सिर्फ एक घंटे की बारिश थी। मौसम विभाग के अनुसार, अगले दो दिनों में बारिश की कोई उम्मीद नहीं। जहां बारिश हुई, वहां तापमान 2.4 डिग्री गिरा, लेकिन फिर भी सामान्य से 4.6 डिग्री ऊपर है।
एकमात्र उम्मीद अब मानसून है। मौसम विभाग का कहना है कि पंजाब में 25 जून 2025 तक मानसून पहुंचने की संभावना है। इससे पहले प्री-मानसून बारिशें आ सकती हैं, लेकिन वो भी अनिश्चित हैं। ये तापमान तब तक नहीं गिरेगा जब तक बादल नहीं आ जाते।
किसानों की फसलें भी बर्बाद हो रही हैं। गेहूं की फसल अभी तक बची है, लेकिन अगर गर्मी और बढ़ी, तो इस साल की उपज बहुत कम होगी। बिजली की खपत में 35% बढ़ोतरी हुई है — लोग एयर कंडीशनर और पंखों का सहारा ले रहे हैं।
अस्पतालों ने गर्मी से जुड़े मरीजों के लिए अलग से वार्ड तैयार किए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को निर्देश दिए हैं —
एक बुजुर्ग महिला ने कहा — "हमें अब गर्मी का डर है। जब बारिश आएगी, तब तक हम जिंदा रहेंगे या नहीं, ये सवाल है।"
मौसम विभाग के अनुसार, इस साल उत्तरी भारत में बादलों की कमी और वायुमंडल में गर्मी के जमाव के कारण गर्मी असामान्य रूप से तेज है। शहरीकरण, बढ़ती भूमि की बर्बादी और वायु प्रदूषण ने इसे और बढ़ाया है। लुधियाना और बठिंडा जैसे शहरों में अब शहरी गर्मी द्वीप प्रभाव भी नोट किया जा रहा है।
हां। वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में गर्मी के तीव्र होने की आवृत्ति पिछले 30 वर्षों में दोगुनी हो गई है। 2024 में भी दिल्ली और राजस्थान में 47 डिग्री तापमान दर्ज हुआ था। अगर जलवायु परिवर्तन की गति बनी रही, तो 2030 तक पंजाब में ऐसी गर्मी हर साल आने की संभावना है।
लू एक शुष्क, गर्म और तेज हवा है जो रेतीले इलाकों से चलती है। यह शरीर का पानी तेजी से निकाल देती है, जिससे डिहाइड्रेशन, बुखार और उल्टी होती है। इसकी वजह से शरीर का तापमान नियंत्रित नहीं हो पाता — यही कारण है कि लोग बिना बुखार के बेहोश हो जाते हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, पंजाब में 25 जून तक मानसून पहुंचने की संभावना है। लेकिन ये बारिश तभी प्रभावी होगी जब वह लगातार आए। एक दिन की बारिश से गर्मी नहीं टलेगी — लेकिन अगर बारिश लगातार 5-7 दिन तक रहे, तो तापमान 35 डिग्री तक गिर सकता है।
हां। बच्चों का शरीर तापमान नियंत्रित करने में कमजोर होता है। बुजुर्गों को दवाएं लेने के कारण भी डिहाइड्रेशन का खतरा ज्यादा होता है। इनके लिए ठंडा कमरा, बार-बार पानी और आंखों के पानी जैसे घरेलू उपाय बहुत जरूरी हैं। अगर कोई बेहोश हो जाए, तो तुरंत ठंडे पानी से शरीर को ठंडा करें और अस्पताल ले जाएं।
हां। गेहूं की फसल अभी तक बची है, लेकिन अगर ये गर्मी 10 दिन और चली, तो अंकुरण रुक जाएगा और दाने छोटे हो जाएंगे। गांवों में पानी की कमी भी बढ़ रही है — किसान अब ट्यूबवेल चलाने के लिए दिनभर इंतजार करते हैं। इस साल फसल की उपज 15-20% कम होने की आशंका है।
13 टिप्पणि
Vitthal Sharma
29 अक्तूबर, 2025गर्मी बहुत खराब है, पानी पीते रहो।
sneha arora
30 अक्तूबर, 2025बच्चों को देखकर दिल टूट गया 😢 ये गर्मी तो जिंदगी ले रही है... कोई तो कुछ करे यार।
Yash Tiwari
31 अक्तूबर, 2025ये सिर्फ गर्मी नहीं है, ये नीति की असफलता है। 2017 के बाद से कोई गर्मी नियंत्रण योजना नहीं बनाई गई, न ही ग्रीन स्पेस बढ़ाए गए, न ही शहरी गर्मी द्वीप के खिलाफ कोई कदम उठाया गया। अब जब लोग मर रहे हैं, तब तक बोलना शुरू कर दिया? ये ज़िंदगी नहीं, बल्कि ब्यूरोक्रेसी का खेल है। जिन्होंने बेनामी जमीन खरीदी, जिन्होंने बारिश के लिए नालियाँ बंद कर दीं, जिन्होंने ट्रैफिक को बढ़ाया - वो सब अब सुन रहे हैं बारिश की आवाज़? नहीं, वो तो अपने एयर कंडीशनर के पीछे बैठे हैं।
Mansi Arora
2 नवंबर, 2025लुधियाना में 46.1? अरे भाई ये तो अभी शुरुआत है... अगले साल 50 तक जा सकता है। अब तो बस गर्मी में बेहोश होने का नंबर बढ़ा दिया है। और ये लोग अभी भी बारिश की उम्मीद कर रहे हैं? बारिश आएगी तो भी बारिश के बाद नमी और ज्यादा बढ़ेगी... और फिर बीमारी का खेल शुरू हो जाएगा।
Amit Mitra
4 नवंबर, 2025मैं बिहार से हूँ, वहां भी गर्मी बहुत है, लेकिन पंजाब की लू का अंदाज़ ही कुछ और है। वहां तो रात को भी तापमान 30 डिग्री से नीचे नहीं जाता। लेकिन यहां तो लू बस इतनी तेज है कि आपका शरीर बिना बुखार के ही बेहोश हो जाता है। ये वैज्ञानिक बताते हैं कि ये जलवायु परिवर्तन है, लेकिन हमारे गांव में बुजुर्ग कहते हैं - ये तो बुराई का फल है, जब इंसान धरती के साथ नहीं रहता, तो धरती भी उसके साथ नहीं रहती।
Sagar Solanki
4 नवंबर, 2025ये सब एक फेक न्यूज़ है। गर्मी के आंकड़े बढ़ाए गए हैं - ताकि गर्मी वेव अलर्ट जारी किया जा सके और बजट में अतिरिक्त फंड मिल जाए। जिन लोगों की मौत हुई, वो शायद अल्कोहल पी रहे थे या दवाइयां ले रहे थे। और जो बच्चे बेहोश हुए? उनके माता-पिता ने उन्हें घर पर नहीं रखा, बल्कि स्कूल भेज दिया। ये सब एक सरकारी शो है। अगर आप वास्तविक गर्मी देखना चाहते हैं, तो राजस्थान जाएं - वहां तो 52 डिग्री तक जाता है, लेकिन कोई अलर्ट नहीं देता।
Siddharth Madan
6 नवंबर, 2025बहुत बुरा लग रहा है। लेकिन अगर हम सब मिलकर बाहर निकलने से इनकार कर दें, तो बारिश जल्दी आएगी। एक छोटा सा बदलाव, बहुत बड़ा असर।
chandra aja
7 नवंबर, 2025लू की वजह से मौतें? ये तो आम बात है। लेकिन क्या आपने सोचा कि ये गर्मी अमेरिका के ड्रोन्स की वजह से आ रही है? वो बादलों को नष्ट कर रहे हैं। और ये गर्मी तभी बंद होगी जब तक हम चीन के सौर पैनल्स को बंद न कर दें। वो वायुमंडल को गर्म कर रहे हैं।
vikram yadav
8 नवंबर, 2025मैं लुधियाना का रहने वाला हूँ। हर दिन 45+ तापमान है। मैंने अपने घर पर एक बड़ा टैंक लगाया है, जिसमें बर्फ और पानी है - और रात में एक छोटा फैन चलाता हूँ। लोगों को बस इतना करना है: दोपहर बाहर न निकलें, पानी पिएं, और खीरा-तरबूज खाएं। ये बहुत आसान है, लेकिन लोग नहीं करते।
Thomas Mathew
9 नवंबर, 2025ये गर्मी तो बस शुरुआत है... अगले साल तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जाएगा। और फिर? फिर तो इंसान बदल जाएंगे - उनकी त्वचा लाल हो जाएगी, आंखें बंद हो जाएंगी, और वो बस बर्फ के टुकड़ों पर बैठकर जीवित रहेंगे। ये नहीं, ये अंत है। अंतिम गर्मी।
Sutirtha Bagchi
10 नवंबर, 2025तुम सब बस बातें कर रहे हो लेकिन कोई दरवाजा खोल रहा है? मैंने अपने बेटे को बर्फ के बैग से ठंडा किया और अस्पताल ले गई - तुम सब यहां क्यों बैठे हो? चलो अस्पताल जाते हैं!
Abhishek Deshpande
11 नवंबर, 2025मौसम विभाग के अनुसार, लू के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है - जिसका अर्थ है कि वायुमंडलीय नमी का स्तर 0.5% से कम है, और यह एक अत्यंत खतरनाक स्थिति है, क्योंकि इस स्तर पर शरीर का तापमान नियंत्रण करने के लिए वाष्पीकरण की क्षमता लगभग शून्य हो जाती है, जिससे डिहाइड्रेशन का खतरा तीव्र हो जाता है, और यह बुजुर्गों और बच्चों के लिए विशेष रूप से घातक है, क्योंकि उनके शरीर के ताप संतुलन के तंत्र दुर्बल होते हैं।
Nathan Roberson
11 नवंबर, 2025मैंने अपने दादा से सुना था - 1980 में भी ऐसा हुआ था। तब भी कोई नहीं मानता था। अब देखो, हर साल बढ़ रहा है। चलो अब घरों पर छत पर बर्फ रख दें।