संगीत इतिहास – भारत की धुनों का सफर
जब भी हम किसी पुराने गाने या बांसुरी की आवाज़ सुनते हैं तो तुरंत सवाल उठता है‑‘ये संगीत कहां से आया?’ असल में, भारतीय संगीत हजारों साल पुराना है और हर दौर ने इसे नया रूप दिया। इस लेख में हम आसान भाषा में देखेंगे कि कैसे वाद्य यंत्र, स्वर और गीत बदलते रहे और आज की ध्वनि तक पहुँचा।
प्राचीन दौर से शास्त्रीय संगीत तक
सबसे पहले बात करते हैं वेदिक मंत्रों की। ऋषियों ने अपने मन को शांत करने के लिए जप किया, और यही जप बाद में राग बन गया। वैदिक साहित्य में ‘स्मृति’ और ‘सम्प्रदाय’ नामक नाद मिलते हैं जो आज के स्वर प्रणाली का आधार बने।
लगभग पाँच सौ साल पहले गुप्तकाल में शास्त्रीय संगीत का ढांचा तैयार हुआ। ‘राग‑वेद्य’ शब्द से समझ सकते हैं कि यहाँ राग (स्वर) और वेद्य (वाद्य यंत्र) दोनों पर ध्यान दिया जाता था। तब के प्रमुख ग्रंथ – ‘नाट्यम्’, ‘संध्याप्रकाश’ ने संगीत को नृत्य, थिएटर और पूजा में बुनना शुरू किया।
भैरव द्वारा लिखित ‘रासायनिक’ जैसी पुस्तकों ने रागों की सूची दी और उनका प्रयोग कैसे करना है बताया। इस समय के बाद कर्नाटक शास्त्रीय (कर्णाटिक) और हिंदुस्तानी शास्त्रीय दो मुख्य शाखाएँ बन गईं, जिनमें क्रमशः सितार, तबला, वीणा जैसे यंत्र प्रमुख हुए।
आधुनिक युग में संगीत की बदलती ध्वनि
औपनिवेशिक दौर आया तो पश्चिमी वाद्य यंत्र और पॉपुलर गीत भारत में घुसने लगे। १९०७ में पहली फ़िल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ ने हिंदी गाने को सिनेमा से जोड़ा। तब से फिल्म संगीत देश का सबसे बड़ा संगीत स्रोत बन गया।
फ़िल्टरिंग के साथ, बॉलीवुड गानों में पश्चिमी बीट और इलेक्ट्रॉनिक ध्वनि भी जुड़ी। १९७०‑८० के दशक में रैप और डिस्को ने युवा वर्ग को नई ऊर्जा दी। आज के कलाकार डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर अपने ट्रैक रिलीज़ करते हैं, जिससे संगीत जल्दी फ़ॉलो किया जाता है।
लोकगीत अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में जिंदा हैं। हर राज्य की अपनी भाषा में गाए जाने वाले गीतों में सामाजिक संदेश या उत्सव का माहौल रहता है। इस तरह लोक और पॉप दोनों एक साथ चलते हैं, कभी‑कभी मिश्रित होकर नई ध्वनि बनाते हैं।
डिज़िटल युग ने संगीत के सेवन को आसान बना दिया। Spotify, Gaana, JioSaavn जैसे ऐप्स से कोई भी गाना किसी भी समय सुन सकता है। इससे कलाकारों को सीधे फैंस तक पहुंचने का मौका मिला और इंडी म्यूज़िक की धारा तेज़ी से बढ़ी।
संक्षेप में, संगीत इतिहास सिर्फ पुरानी किताबें नहीं, बल्कि हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा है। प्राचीन मंत्रों से लेकर आज के बास ड्रॉप तक, हर बदलाव ने लोगों को जोड़े रखा। जब आप अगला गाना सुनेंगे तो याद रखिए‑यह ध्वनि कई पीढ़ियों की कहानी कह रही है।