जब दिल्ली के बाजारों ने 7 अक्टूबर 2025 को अपना नया स्वर्ण कीमत बोर्ड दिखाया, तो तुरंत पता चल गया कि देश भर में 24‑क्यारेट सोने की कीमत में 12% की तीव्र उछाल हो रहा है। यह उछाल गोल्ड प्राइस बूमइंडिया के रूप में दर्ज हो रहा है, जिसमें 24‑क्यारेट सोना 10 ग्राम के लिए औसतन ₹1.22 लाख से ऊपर पहुँच गया है। इस बढ़त में मुख्य कारण उत्सव‑सीजन की बढ़ती मांग, रूढ़िवादी रूढ़ि‑नीति, और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता का सम्मिलित प्रभाव रहा है।
अक्टूबर के पहले दो हफ्तों में ही स्वर्ण कीमतें धीरे‑धीरे ऊपर उठीं। 1 अक्टूबर को 24‑क्यारेट सोने की औसत कीमत ₹1.09 लाख थी, जबकि 7 अक्टूबर को यह ₹1.22 लाख तक पहुँच गई। इस दौरान 22‑क्यारेट और 18‑क्यारेट सोने की कीमतें भी क्रमशः 10% और 8% बढ़ीं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत में सोने की कीमत केवल दो हफ्ते में ही 12% तक चढ़ गई है।
विश्लेषकों का मानना है कि इस उछाल के पीछे तीन प्रमुख कारण हैं:
इन कारणों को जोड़कर देखते हुए, अंकित वर्मा, सीनियर एनालिस्ट at मोटिलाल ओसवाल सिक्योरिटीज लिमिटेड ने कहा, "उत्सव‑सीजन की खरीदारी और अंतरराष्ट्रीय जोखिम दोनों मिलकर स्वर्ण कीमतों को इस स्तर तक ले आए हैं, और अगले दो‑तीन हफ्तों में कीमतों में और 3‑5% की चढ़ाई देखी जा सकती है।"
भिन्न‑भिन्न मेट्रो शहरों में स्वर्ण कीमतों में थोड़ा‑बहुत अंतर रहा, पर सभी ने नई उच्चतम स्तर पर ट्रेड किया।
| शहर | 24K (₹/10 ग्राम) | 24K (₹/ग्राम) |
|---|---|---|
| मुंबई | 1,22,020 | 12,202 |
| बेंगलुरु | 1,22,020 | 12,202 |
| कोलकाता | 1,22,020 | 12,202 |
| दिल्ली | 1,22,070 | 12,207 |
| चेन्नई | 1,22,180 | 12,218 |
| अहमदाबाद | 1,22,020 | 12,207 |
22‑क्यारेट सोने की औसत कीमत करीब ₹11,185 प्रति ग्राम रही, और 18‑क्यारेट की कीमत ₹9,152 प्रति ग्राम। साथ ही, चाँदी की कीमत भी सभी प्रमुख शहरों में बढ़ी, जहाँ दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में कीमत ₹1,56,100 प्रति किलोग्राम रही, जबकि चेन्नई ने ₹1,67,100 का उच्च स्तर देखी।
देशी और विदेशी दोनों बाजारों में सोने की कीमतें स्थिर नहीं बल्कि एक स्पष्ट बुलिश ट्रेंड दिखा रही हैं। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के डेटा के अनुसार, सोने के फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स ने पिछले महीने के अंत में 5% तक की सकारात्मक गति दर्ज की।
एक वैश्विक विशेषज्ञ, डॉ. रीता सिंगह, गुप्तवित्तीय विश्लेषक, ने कहा, "जब तक वित्तीय प्रणाली में मुद्रास्फीति के डर बने रहेंगे, स्वर्ण को एक ‘विच्छु सुरक्षा’ के रूप में देखा जाएगा। भारत में डेमोग्राफिक बॉम्ब और उत्सव के कारण यह मनोविज्ञान और भी मजबूत हो रहा है।"
भविष्य का दृष्टिकोण देखते हुए, अधिकांश बाजार विशेषज्ञों ने बताया कि आगामी शरद ऋतु में, यानी नवम्बर‑दिसंबर तक, कीमतों में 2‑4% की और वृद्धि की संभावना है। लेकिन यदि अमेरिकी फेड की नीति अधिक कठोर हो गई तो उलट भी हो सकता है।
सोने की कीमत में इस तीव्र वृद्धि का सीधा असर ज्वेलरी रेपर्स, बैंकिंग सेक्टर और आम लोगों की बचत पर पड़ रहा है। रिटेल ज्वेलरियों ने बताया कि बेच छूट के बाद भी बिक्री में 15% का सकारात्मक अंतर आया है। साथ ही, बैंकिंग संस्थानों ने सोने के बॉन्ड व सर्विसिंग में बढ़ती माँग देखी।
उपभोक्ताओं के लिए एक दो‑तीन पहलू हैं:
इस बीच, भारतीय सरकार ने अभी तक कोई आयात शुल्क में बदलाव नहीं किया है, लेकिन संभावित सरवरीजी में परिवर्तन के संकेत मिल रहे हैं, जिससे व्यापारियों को सतर्क रहना पड़ेगा।
दीवाली और अन्य त्यौहारों के दौरान ज्वेलरी की मांग तेजी से बढ़ जाती है, जिससे थोक और रिटेल दोनों स्तरों पर कीमतें ऊपर चली जाती हैं। साथ ही, विक्रेताओं की मौसमी इन्वेंट्री को तेज़ी से खत्म करने की कोशिश भी कीमतों को ऊँचा रखती है।
हाँ, जब रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर पड़ता है, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्वर्ण सस्ता दिखता है। यह विदेशी निवेशकों को सोने में निवेश करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे घरेलू कीमतें भी ऊपर उठती हैं।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले दो‑तीन महीनों में 2‑4% का अतिरिक्त उछाल संभव है, बशर्ते मौजूदा वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएँ और भारत में उत्सव‑खरीदारी का माहौल बना रहे।
चाँदी की कीमतें भी जनवरी में बढ़ी हैं, विशेषकर चेन्नई में ₹1,67,100 प्रति किलोग्राम तक पहुँची हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चाँदी को भी एक हेजिंग साधन माना जाता है, इसलिए दो‑तीन महीनों में समान ऊँचा रुख दिख सकता है।
सुनिश्चित करने के लिए रिकवरी टाईम, कर नियम और स्टोरेज लागत को ध्यान में रखना जरूरी है। कीमतें तेज़ी से ऊपर-नीचे हो सकती हैं, इसलिए दीर्घकालिक निवेश के रूप में सोने को हीरानी में रखना बेहतर है।
10 टिप्पणि
PRAVIN PRAJAPAT
8 अक्तूबर, 2025स्वर्ण कीमतों में इतनी तेज़ी से उछाल अनियंत्रित सट्टा बाजार का संकेत है।
Parveen Chhawniwala
8 अक्तूबर, 2025वर्तमान उछाल के पीछे तीन प्रमुख कारक हैं-उत्सव‑सीजन की अग्रिम खरीदारी, रूपया कमजोरी और वैश्विक अस्थिरता। इन कारणों का प्रभाव एक‑दूसरे को सुदृढ़ करता है। बाजार में धंधे‑धांधले को देखते हुए निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए। डेटा दर्शाता है कि कीमतें दो‑तीन हफ्तों में और 3‑5% बढ़ सकती हैं। इस प्रकार, अल्पकालिक जोखिम का विचार आवश्यक है।
Ravi Patel
8 अक्तूबर, 2025आपकी बात सही है कीमतों में कई कारणों का संयोजन है। छोटे निवेशकों को पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए। दीर्घकालिक लक्ष्य के लिए स्वर्ण एक बचाव कवच हो सकता है।
Shivam Kuchhal
8 अक्तूबर, 2025स्वर्ण के इस बूम को देखते हुए बाजार में सकारात्मक माहौल का निर्माण हुआ है। यह निवेशकों को नई अवसर प्रदान करता है और आर्थिक स्थिरता में योगदान देता है। आशा है कि आने वाले हफ़्तों में इस प्रवृत्ति में स्थिरता बनी रहेगी।
Adrija Maitra
8 अक्तूबर, 2025वाह! ये तो जैसे सोने की लहर है, सबको झकझोर रही है! दीवाली के रंग में सोने का चमक और भी बढ़ गया है। लोग अब सोने को ही बचत का मूल मान रहे हैं। बहुत ही रोमांचक समय है।
RISHAB SINGH
8 अक्तूबर, 2025सभी को बधाई, अब सोने की कीमतों की बढ़ोतरी से ज्वेलरी कारोबार में तेजी आई है। छोटे निवेशकों को समय पर खरीदारी से फायदा मिल सकता है। चलो मिलकर इस मौके का फायदा उठाते हैं।
Deepak Sonawane
8 अक्तूबर, 2025वर्तमान की मैक्रोइकॉनॉमिक वैरिएंस और फिड्यूशियरी रेटर्स की रेडीनेस पर विचार करते हुए, स्वर्ण का अल्फा प्रीमियम उल्लेखनीय है। लिक्विडिटी की क्वालिटी और ट्रेंडिंग ऑप्शन ग्रिड से पता चलता है कि बाजार में बोली‑बिल्डर पोजिशन पोर्टफोलियो को हेज कर रहे हैं। हालांकि, टैब्यूलर एनालिसिस से संकेत मिलता है कि पोर्टफोलियो वैरियंस उच्च सीमा पर पहुंच रहा है, जिससे रिटर्न अनस्ट्रक्चर्ड हो सकता है। यह स्पष्ट है कि एक स्ट्रेटेजिक रीबैलेंस आवश्यक है।
Suresh Chandra Sharma
8 अक्तूबर, 2025दोस्तों स्वोर्ण की कीमत बढ़ना एक अच्छा साइन है पर याद रखो स्टोरेज खर्च भी देखना चाहिए। अगर आप छोटा सट्टा प्लान बना रहे हो तो डिजिटल गोल्ड पेपर भी एक ऑप्शन है। अभी काफ़ी लोग इसे अपनाए हैं और बर्सात में सुरक्षित रख रहे हैं।
rajeev singh
8 अक्तूबर, 2025आपकी सलाह मूलभूत है और निवेशकों को संभावित जोखिमों का संतुलित दृष्टिकोण प्रदान करती है। यह आवश्यक है कि व्यक्तिगत वित्तीय लक्ष्य के साथ समन्वय स्थापित किया जाए। स्वर्ण को पोर्टफोलियो में सम्मिलित करना विवेकपूर्ण निर्णय हो सकता है।
ANIKET PADVAL
8 अक्तूबर, 2025भारत का स्वर्ण बाजार, जो सदियों से हमारे सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न भाग रहा है, आज फिर से राष्ट्रीय अभिमान का प्रतीक बन गया है। इस उछाल को देख कर हमें यह समझना चाहिए कि राष्ट्र की आर्थिक स्थिरता हमारे नागरिकों के सामूहिक प्रयासों का प्रतिफल है। जब रुपये की गिरावट और वैश्विक अस्थिरता उत्पन्न होती है, तो स्वर्ण जैसा सुरक्षित आश्रय हमारे जनता को स्थिरता प्रदान करता है। इसलिए, इस समय में स्वर्ण निवेश को अनिच्छा नहीं, बल्कि कर्तव्य समझा जाना चाहिए। यह केवल व्यक्तिगत लाभ की बात नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय संपत्ति को सुदृढ़ करने की दिशा में एक सामाजिक जिम्मेदारी है। प्रत्येक भारतीय को इस अवसर का उपयोग करके अपनी बचत को सुरक्षित रखना चाहिए, ताकि भविष्य में आर्थिक धक्कों से बचा जा सके। स्वर्ण का यह मूल्यवृद्धि, हमारे धातु-उत्पादन उद्योगों और कर्यशाला को भी प्रोत्साहन देता है, जिससे रोजगार सृजन में सहायता मिलती है। इसके अलावा, स्वर्ण की बढ़ती कीमतें हमारे निर्यात संभावनाओं को भी सुदृढ़ करती हैं, क्योंकि विदेशी निवेशक भारतीय बाजार की स्थिरता को देख आश्वस्त होते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे प्राचीन इतिहास में स्वर्ण का उपयोग धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों के लिए किया गया था, और यह आज भी वही भूमिका निभा रहा है। अतः, स्वर्ण के इस उछाल को राष्ट्रीय गौरव के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए, न कि केवल स्पेक्युलेटिव ट्रेडिंग के रूप में। सरकार को भी इस अवसर पर उचित नीति-निर्धारण करके आयात शुल्क और कर में संतुलन बनाना चाहिए, जिससे बाजार में अनावश्यक अस्थिरता न आये। साथ ही, उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को सही निवेश विकल्पों की जानकारी प्रदान की जानी चाहिए। इस प्रकार की समग्र रणनीति न केवल व्यक्तिगत प्रतिभूतियों को संरक्षित करेगी, बल्कि राष्ट्रीय आर्थिक तंत्र को भी सुदृढ़ करेगी। अंत में, मैं यह कहूँगा कि स्वर्ण की यह उछाल एक नैतिक संकेत है, जो हमें हमारे आर्थिक निर्णयों में सतर्कता, विवेक और राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देने की याद दिलाता है। हमारा कर्तव्य है कि हम इस अवसर को बुद्धिमत्ता से उपयोग करके भविष्य की सुरक्षित और समृद्ध भारत की नींव रखें।