खेल समाचार

एथनिक तनाव – क्या कारण बन रहे हैं आज के सामाजिक तनाव?

अक्सर खबरों में हम देखते हैं कि अलग‑अलग समुदाय एक‑दूसरे से टकरा रहे हैं। ये टकराव सिर्फ चुनावी मुद्दे नहीं, बल्कि पुरानी जड़ें और नई आर्थिक दबाव भी हो सकते हैं। जब कोई समूह महसूस करता है कि उसे बख्श दिया गया या उसकी पहचान खतरे में है, तो तनाव बढ़ जाता है। यही एथनिक तनाव का मूल कारण होता है – असमानता, रोजगार की कमी और सामाजिक सम्मान के सवाल।

क्यों बढ़ रहा एथनिक तनाव?

पहला कारण है आर्थिक प्रतिस्पर्धा। जब नौकरी या सरकारी योजना सीमित होती हैं, तो लोग अपने समूह को बचाने के लिए अधिक रुख़ दिखाते हैं। दूसरा, सोशल मीडिया का असर बहुत तेज़ है; एक छोटी सी झूठी खबर भी जल्दी फैली और दंगे भड़क सकते हैं। तीसरा, राजनीति में अक्सर दल अपनी वोट बैंक की रक्षा करने के लिये एथनिक मुद्दे उठाते हैं, जिससे जनता में विभाजन बढ़ता है। इन तीन पहलुओं को समझना जरूरी है ताकि हम समस्या का सही समाधान ढूँढ सकें।

तनाव कम करने के आसान कदम

समुदायों को जोड़ने वाले कार्यक्रम शुरू करें – जैसे सांस्कृतिक मेले, खेल प्रतियोगिताएँ या शिक्षा अभियान। जब लोग एक साथ काम करते हैं तो समझदारी बढ़ती है और डर कम होता है। दूसरा, स्थानीय नेताओं से अपील करें कि वे विवाद के समय शांतिपूर्ण संवाद की पहल करें, न कि त्वरित कार्रवाई जो अक्सर हिंसा को भड़का देती है। तीसरा, स्कूलों में इतिहास और विविधता पर सिखाएँ; बचपन से ही लोगों को सीखना चाहिए कि विभिन्न संस्कृति एक-दूसरे को कमजोर नहीं करती।

सरकारी स्तर पर भी कुछ ठोस कदम मददगार हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, रोजगार योजनाओं को क्षेत्र‑विशिष्ट बनाकर सभी समूहों को समान अवसर दें। साथ ही, कानून का कड़ाई से पालन करें ताकि कोई भी नृसंहार या हिंसा की सजा से बच ना सके। जब न्याय दिखता है तो लोगों में भरोसा बढ़ता है और एथनिक तनाव घटता है।

अगर आप अपने पड़ोस में किसी तरह के तनाव को महसूस कर रहे हैं, तो सबसे पहले शांत रहें और जानकारी का स्रोत जाँचें। गलत सूचना पर तुरंत प्रतिक्रिया देने से अक्सर स्थिति बिगड़ती है। दोस्तों या परिवार के साथ चर्चा करें, ताकि अलग‑अलग विचारों को सुन सकें और समझ सकें कि असल मुद्दा क्या है।

समग्र रूप में एथनिक तनाव का समाधान अकेले नहीं किया जा सकता; यह समाज की पूरी भागीदारी चाहता है। व्यक्तिगत स्तर पर हम सहानुभूति दिखाकर, सरकारी स्तर पर हम न्यायसंगत नीतियां बनाकर और मीडिया के साथ मिलकर गलत सूचना को रोक कर इस समस्या को हल कर सकते हैं। छोटे‑छोटे कदमों से बड़ा बदलाव संभव है।

8 सित॰

मणिपुर के जिरीबाम में एथनिक तनाव के बीच पांच लोगों की मौत

समाचार

मणिपुर के जिरीबाम में एथनिक तनाव के बीच पांच लोगों की मौत

मणिपुर के जिरीबाम जिले में शनिवार को एथनिक तनाव के बीच हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई। यह घटना हिंदू मेइती और ईसाई कूकी-जो आदिवासी समुदायों के बीच जारी तनाव का हिस्सा रही है। पुलिस के अनुसार पहले एक व्यक्ति की सोते समय हत्या की गई, जिसके बाद दोनों समुदायों के सशस्त्र लोगों ने एक-दूसरे पर गोलीबारी की जिसमें चार और लोग मारे गए।

आगे पढ़ें
回到顶部