गणेशोत्सव 2025 – कब है, कैसे मनाएँ?
गणेश चतुर्थी हर साल अलग‑अलग तारीख पर आती है क्योंकि यह हिंदू कैलेंडर के शुक्ल पक्ष के चौथे दिन पड़ती है। 2025 में गणेश उत्सव 29 अगस्त (शनि) से 6 सितंबर (रवि) तक चलेगा। कई शहरों में इस अवधि को आधा‑हफ़्ता माना जाता है, इसलिए लोग दो‑तीन दिन पहले ही घर-घर में सजावट शुरू कर देते हैं।
अगर आप पहली बार गणेशोत्सव देख रहे हैं तो सबसे आसान तरीका है कि अपने नजदीकी मंडप या पंडाल देखें। महाराष्ट्र में बड़े‑बड़े पंडाल लगते हैं, कर्नाटक और गोवा में भी कई जगहों पर लाइटिंग और सजावट देखने को मिलती है। छोटा‑सा प्रयास – घर के सामने एक छोटी मूर्ति रखिए, मोदक की थाली तैयार रखें और सरल रिवाज़ पढ़ें, बस उतनी ही तैयारी से आप उत्सव का आनंद ले सकते हैं।
मुख्य तिथि और पूजा विधि
गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी स्नान करके साफ‑सुथरा कपड़ा पहनना चाहिए। फिर मोदक, नारियल, धूप, अगरबत्ती और फूलों का इस्तेमाल करके पूजा करें। अधिकांश लोग “विनायकाचरण” या “एकादशी मंत्र” पढ़ते हैं – ये दो पंक्तियों के छोटे मंत्र होते हैं, याद रखने में आसान।
पूजा के बाद परिवार के साथ मोदक बांटे। अगर आप शाकाहारी हैं तो चने का लड्डू भी अच्छा विकल्प है। कुछ क्षेत्रों में “गणेश आहार” यानी कि केवल शुद्ध शाकाहारी भोजन करने की परंपरा चलती है; इसे अपनाने से मन भी शांत रहता है और शरीर हल्का महसूस करता है।
गणेशोत्सव में खेल एवं उत्सव
भौतिक पूजा के साथ-साथ इस त्यौहार में कई लोक‑खेल होते हैं जो लोगों को जोड़ते हैं। महाराष्ट्र में “कुड़ोती दौड़” और “मोदक प्रतियोगिता” बहुत लोकप्रिय हैं – बच्चे‑बच्चे दोड़ते हुए मोदक पकड़ने की कोशिश करते हैं, जबकि बड़े लोग लड्डू बनाकर प्रतिस्पर्धा करते हैं। ये खेल न सिर्फ मज़ेदार होते हैं बल्कि सामुदायिक भावना को भी बढ़ाते हैं।
अगर आप खेल प्रेमी हैं तो इस दौरान आयोजित होने वाले क्रिकेट और कबाड़ी मैचेस पर नजर रखें। कई शहरों में स्थानीय क्लब गणेशोत्सव के अवसर पर फ़्रेंडली टुर्नामेंट कराते हैं, जहाँ युवा खिलाड़ी अपनी क्षमताएं दिखा सकते हैं। इन इवेंट्स को देखना या भाग लेना आपके उत्सव को दो‑गुना रोमांचक बना देगा।
आखिर में एक बात याद रखें – गणेशोत्सव का असली मकसद खुशी बाँटना है। चाहे आप बड़े पंडाल में भीड़ देखें, घर की छोटी सी पूजा करें या खेल के मैदान में भाग लें, हर चीज़ को सरल और दिल से अपनाएँ। इस तरह आपका 2025 का गणेशोत्सव यादगार बन जाएगा।